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तू मुझे क्या समझाने आया है? 

इश्क़ है गुनाह क्या ये बताने आया है?
 
हस्ते है सब जिसकी अच्छाईयों पर, 
क्या ही तू, उसे हँसाने आया है?

ठोकर खा कर चलना नही छोड़ा, 
तू उसे उसकी मंजिल दिखाने आया है?

उसके आँखों से आसु नही थमते, 
उन आँखों में तू प्यार की चमक ढूंढने आया है?

प्यार में उड़ते इस घायल परिंदे को, 
तू उड़ना सिखाने आया है?

मुखौटों की परतें लगाकर, 
तू किस असली चेहरे को दिखाने आया है?

लूट लिया है तेरे धोखेबाजी ने हमें, 
अब तू क्या ढिंढोरा पीटने आया है?

दे दिया है इतने घाव अगर जो तुमने, 
अब क्या मरहम का नाम ले उसे खुरेतने आया है?

या तू मुझे समझाने आया है! 
इश्क़ है गुनाह अब ये बताने आया है!!

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