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"सार्थक प्रयास हमेशा रंग लाते हैं।" -  इस संबंध में एक कहानी सुनाना चाहता हूं।
एक गांव में एक गरीब परिवार रहता था। उनके एक बेटा सौरव तथा एक बेटी कृष्णा थी, गरीब परिवार का मुखिया राम सिंह था। उनकी पत्नी सीमा थी। यह परिवार मजदूरी कर अपना घर चलाता था। राम सिंह अपने बेटा बेटी को पढ़ाना चाहते थे इसलिए सीमा ने भी मजदूरी शुरू की तथा बच्चों को गांव के स्कूल में प्रवेश दिला दिया बच्चों ने प्राथमिक शिक्षा अच्छे से पूरी की तब उन्होंने पास के शहर में अपने बच्चो को आगे की पढ़ाई के लिए भेज दिया।

 बच्चे प्रतिदिन साइकिल से पढ़ने के लिए जाते थे दोनो बच्चो ने शहर में अपनी पढ़ाई अच्छे से शुरू की सौरव बड़ा था। वह अपनी भी पढ़ाई करता था तथा अपनी छोटी बहन कृष्णा की भी सहायता करता था। उसने कक्षा 10 अच्छे अंकों से सरकारी स्कूल से पास की फिर उसने अपने खर्चे चलाने के लिए ट्यूशन शुरू कर दिए इस प्रकार से वह अपनी कक्षा से छोटी कक्षा के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था तथा अपनी पढ़ाई भी करता था। वह अपनी कक्षा के छात्रों की भी पढ़ने में सहायता करता था। वह पढ़ाई के साथ साथ खेल कूद एवम अन्य गतिविधियों में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेता था इस प्रकार से वह अपने शिक्षको का भी प्रिय हो गया था सभी शिक्षक उसे पसंद करते थे प्राचार्य भी उसे पसंद करते थे इसलिए शिक्षको व प्राचार्य ने उसकी फीस माफ कर दी थी इससे उसे पढ़ने में थोड़ा सहायता मिल गई अपने ट्यूशन से वह अपनी बहन की फीस देता था अपना खर्चा चलाता था अपने साथी छात्रों को पढ़ाने से उसकी भी पढ़ाई हो जाती थी इस प्रकार से पढ़ाई करते हुए उसने कक्षा 12 भी अच्छे अंकों से पास की तथा उसके बाद उसे एक अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश मिल गया तथा वह पढ़ने के लिए दूसरे शहर चला गया उसकी बहन ने भी अच्छे अंकों से कक्षा 10 पास की तथा कक्षा 12 भी उसने अच्छे अंकों से पास की तथा उसका प्रवेश एक अच्छे मेडिकल कालेज में हो गया वह अपना तथा अपनी बहन का खर्चा ट्यूशन से निकालता था तथा अपनी पढ़ाई भी करता था। 

उसने इसमें भी मेहनत की वह इंजीनियरिंग की डिग्री भी अच्छे अंकों से पास कर गया। वहां पर उसे एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी मिल गई उसके पिता माता व बहन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन वह आईएएस बनना चाहता था। अत उसने नौकरी छोड़ दी तथा आईएएस की तैयारी शुरू की उसने ट्यूशन भी साथ साथ ही जारी रखे उसका ध्येय था मेहनत करके आईएएस बनना उसने आईएएस की परीक्षा दी लेकिन वह प्रारंभिक परीक्षा में ही फेल हो गया। उसको झटका लगा लेकिन उसने हिम्मत नही हारी उसने उससे सबक लिया अपनी कमजोरी पहचानी अपना टारगेट फिर बनाया फिर उसने दुगनी मेहनत से तैयारी शुरू की। अपना सिलेबस ठीक से तैयार किया उसने रात दिन मेहनत की फिर आईएएस की परीक्षा दी उसने प्रारंभिक परीक्षा को पास कर लिया उसने मुख्य परीक्षा दी लेकिन वह मुख्य परीक्षा में फेल हो गया, उसने सोचा कि अब क्या करे उसने शांति से सोचा कि क्यों न पुन तैयारी करे उसने अपनी तैयारी का पूरा विश्लेषण किया अपनी कमजोरी को पहचाना उसने तनाव न लेकर पुन तैयारी का सोचा उसने पुन तैयारी शुरू की अबकी बार ओर मेहनत से तैयारी की पुन परीक्षा दी तथा मुख्य परीक्षा पास की इंटरव्यू दिया लेकिन रिजल्ट आने पर वह चयनित नहीं हो पाया उसे झटका लगा वह निराश हो गया उसे लगा कि शायद वह आईएएस नही बन पाएगा वह निर्णय नहीं ले पा रहा था ।

उसकी बहन ने उसे समझाया उसके दोस्तों ने भी उसे समझाया उन्होंने उसे कहा कि एक बार ओर कोशिश करे, उसकी समझ में आ गया उसने पुन हिम्मत की पुन तैयारी की इस बार पूरी मेहनत की रात दिन मेहनत की। तथा पुन परीक्षा दी और इस बार वह चयनित हो गया वह आईएएस बन गया।

उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा उसके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा उसकी बहन भी डॉक्टर बन चुकी थी। उसने भी सोचा कि अपने भाई की तरह क्यों न उसे भी तैयारी करनी चाहिए उसने योजना बनाई तैयारी की रातदीन तैयारी की उसने भी आईएएस की परीक्षा दी उसने पहले ही प्रयास में आईएएस परीक्षा पास कर ली। उसके घर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा राम सिंह व उनकी पत्नी की मेहनत रंग लाई उन्होंने जो कष्ट झेले अब उनके कष्टों का निराकरण हो गया,अब वह अच्छे जीवन की कल्पना करने लगे उनका बेटा व बेटी आईएएस बन चुके थे वह उनके पास रहने लगे अच्छा जीवन जीने लगे उन्होंने गांव छोड़ दिया। अपने बच्चों के पास शहर में रहने लगे सभी गांव के लोग अपने बच्चों को उनका उदाहरण देने लगे कहने लगे कि देखो उनके बच्चों ने कैसे मेहनत की तथा किस प्रकार गांव का नाम रोशन किया ।

अपने माता पिता का नाम रोशन किया आप भी चाहे तो आप जो चाहे वह बन सकते है केवल सार्थक प्रयास की जरूरत होती है आपको ऐसे ही सार्थक प्रयास करने है जैसे सौरव तथा कृष्णा ने किए सौरव तो इतनी बार असफल हुआ कि ओर कोई होता तो उसके हौसले टूट जाते।वह निराश हो जाता सब कुछ छोड़ देता लेकिन सौरव ने निराश न होकर सार्थक प्रयास किए और वह सफल हो गया, उसकी बहन कृष्णा ने भी सार्थक प्रयास किया वह भी सफल हो गई। एक गरीब परिवार से निकलकर अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए वह भाई बहन आइएएस जैसी चुनौतीपूर्ण परीक्षा को पास कर गए, अत कहा जा सकता है कि सार्थक प्रयास हमेशा रंग लाते हैं। सफल होते है केवल निराश हुए बिना ऐसे प्रयास करने ।

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