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साजन आई तीज

सज गए झूले
खिल गई कलियाँ
मिल जाओ मन मीत
साजन फिर से आई तीज

धानी चुनर ओढ़ के
धरती हार-सिंगार सजाए
बूँदन-मोती माला के संग
मेघ मल्हार सुनाए
सावन में पिया के खातिर
सजने की हैं रीत
साजन आई तीज

सिंजारा और झूले
मेरे मन में टीस जगाए
ओढ़ लहरियाँ आ गई सखियाँ
हम गौरी पूजन जाए
मेरा कोमल मन ,
निर्मोही तुम पर गया है रीझ
साजन आई तीज।।

माना के तुम बड़े व्यस्त हो,
याद ना मेरी आए
बिंदियाँ, काजल, नूपुर, कंगन
सारे तुम्हें बुलाए
हमें यकीं हैं, तुम्हें याद हैं
मिलन प्रणय का बीज़
साजन आई तीज।।

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