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अन्धकार है बहुत अब रोशनी की बात करते हैं,
कुछ विदेशी भाषाओं की हैं सुनते,
कुछ अपनी हिंदी की बात करते हैं,
हिंदी की हिंदी से पहचान कराते हैं,
आओ! हिंदी की आन-बान और शान को वापिस लौटाते हैं,
हिंदी को जन-जन की भाषा बनाते हैं,
आओ! हिंदी के विविध आयामी मनकों की माला पिरोते हैं,
हिंदी को जन-गण-मन की आधिकारिक भाषा का ओहदा दिलाते हैं,
आओ! सब मिलकर अपनी मातृभाषा की महिमा को
सर्वोच्च शिखरों तक पहुंचाते हैं,
हिंदी हैं हम, हिन्दोस्तानी हैं,
हिंदी को अपने हृदय में संजोकर उसे अपनी
आने वाली पीढ़ी में बीजारोपण कराते हैं,
हिंदी की हिंदी से घनिष्ठता बढ़ाते हैं,
आओ! दोनों की एक-दूसरे से जान-पहचान करवाते हैं,
लेखनी और वाणी में रची-बसी हिंदी को ज्ञान का सागर और
गंगा-सा पवित्र स्त्रोत बनाते हैं,
आओ! हिंदी को और अधिक पारम्परिक और गौरवशाली बनाते हैं,
जो माँ ने हमें बचपन में घुट्टी में घोंटकर पिलाई थी,
आज उसी भाषा के अपनेपन की मिठास को और मधुरतम बनाते हैं,
आओ! हिंदी की सशक्त पतवार पकड़कर राष्ट्र की नौका पार लगाते हैं,
तूफानों और झंझावातों से निकालकर हिंदी को
समरसता के मैदान पर ले आते हैं,
आओ! आज हिंदी को शत-शत शीश नवाते हैं,
राष्ट्र की सांविधानिक भाषा को अमली-जामा पहनाते हैं,
इसे दिन-प्रतिदिन के प्रयोग की व्यावहारिक भाषा बनाते हैं,
आओ! आज पुन: गंगा -जमुनी तहज़ीब को याद करते हैं,
हिंदी अपनी मातृभाषा, अपनी निजी जुबान को
मिश्री-सा पानी में घोल पी जाते हैं,
मात्र साप्ताहिक 'हिंदी पखवाड़े' मनाने से अब कुछ हल नहीं निकलेगा,
आओ! इसे जनमानस के बीच लोकप्रिय बनाते हैं,
आओ! अब पुन: कुछ नए वृक्ष लगाते हैं,
बीज बोने और सींचने-रोपने की प्रक्रिया को तनिक और आगे बढ़ाते हैं,
आओ! हिंदी भाषा को अधिक शक्तिशाली और समृद्धशाली बनाते हैं,
भारत की सांस्कृतिक धरोहर को आँधियों से बचाते हैं,
युवाओं की राष्ट्र-निर्माण में भागीदारी को बढ़ाते हैं,
सभी भाषाओं का ज्ञान-अर्जन तो ठीक है,
परन्तु स्वत्व व निजता का प्रताप दिखाकर हिंदी को
अलंकृत और सुसज्जित बनाते हैं,
आओ! हिंदी को रोज़गार का माध्यम बनाते हैं,
हिंदी को सकारात्मकता से ओत-प्रोत कर इसे ऊर्जा का
प्रभावी उद्गम बनाते हैं,
आओ! हिंदी को बरसों से जकड़ी बेड़ियों से उन्मुक्त कराते हैं,
राष्ट्रव्यापी हितों और मैत्री संधियों को और प्रगाढ़ बनाते हैं,
आओ! अपने विद्यार्थियों को गीता, वेदों, पुराणों और
उपनिषदों की महिमा से अवगत कराते हैं,
कहते हैं, माँ हिंदी हमारी जन्मदात्री है,
आओ! हम सब मिलकर हिंदी की जय-जयकार बुलाते हैं,
सांस्कृतिक समृद्धता और कल्याणकारी भावनाओं से
विभूषित है अपनी हिंदी,
आओ! इसे कुछ और आभूषण पहनाते हैं,
न्यायालयों में भी अब राष्ट्रभाषा को प्रमुखता दी जाने लगी है,
आओ! हिंदी को विकसित देश की भाषा बनाते हैं,
राष्ट्र की एकजुटता और दृढ़ता को और सुदृढ़ बनाते हैं,
सभी भाषाओं रुपी पत्तियों को कमल दल में शामिल कर लाते हैं,
आओ! भारतवर्ष की आत्मा हिंदी की आन-बान और शान को
और ऊंचा उठाते हैं,
आओ! देश की अंतरात्मा और अस्मिता को बचाते हैं,
वैश्विक स्तर पर हिंदी को ही मानचित्र पर उकेर लाते हैं,
वैश्विक स्तर पर हिंदी को ही मानचित्र पर उकेर लाते हैं।

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