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किसी भी घर की खुशबू-रंगों- आब होती हैं बेटियां,
करुणा, दया, ममता और संवेदनशीलता की गज़ब मिसाल होती हैं बेटियां,
जन्नत-सा पुरसुकून और नायाब एहसास होती हैं बेटियां,
हमें बेटियों को जीने हेतु उनके हिस्से का खुला आसमान और उर्वर ज़मीन देनी होगी,
उनको उगने, पनपने और बढ़ने के लिए उनके अरमानों को सही दिशा और उड़ान देनी होगी,
तभी यो इस जहां में पनपेंगी बेटियां,
वरना तो सिसक-सिसककर जान देंगी बेटियां,
ये शीतल बयारें हैं, इन्हें शीतलता की छाँह चाहिए,
इन्हें प्यार, सम्मान, अपनेपन और ममत्व की तीव्र चाह चाहिए,
क्योंकि सभी के दुःख और सुख में सदा साथ होती हैं बेटियां,
अपनों और परायों को परस्पर मिलाने का सेतु हैं बेटियां,
मेरी गुज़ारिश है सभी से कि बेटियों को पढ़ाओ, लिखाओ, आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बनाओ,
भ्रूण-ह्त्या जैसा जघन्य अपराध करके इस सृष्टि के निर्माता की सृजनात्मकता पर प्रश्नचिन्ह मत लगाओ।
करुणा, प्रेम और सहयोग का दूजा छोर हैं बेटियां, बेटियों की इच्छाओं को उनके मुकाम तक पहुंचाना होगा,
उनके सपनों को साकार करना होगा, उनकी इच्छाओं का सम्मान करना होगा,
किसी ने सच ही कहा है कि यदि चाहते हो, अपने राष्ट्र की धरोहर और संस्कृति को बचाना,
तो अपने घर की बेटियों को शिक्षा के आभूषण से अलंकृत अवश्य करवाना,
यदि तुम चाहते हो इनको मिले सर्वत्र मान और सम्मान,
तो बेटियों को देना होगा, शिक्षा-दीक्षा और आत्मनिर्भरता का ज्ञान और वरदान,
यकीन मानिए, हमारा राष्ट्र भी करेगा तभी प्रगति,
जब बेटियों को मिलेगा उनका समुचित स्थान, तो चहुँ ओर होगी हमारी उन्नति।

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