“उदासी और ख़ुशी का दूजा नाम है ज़िन्दगी,
ग़मों से उत्साहपूर्वक बाहर निकल आने का मुकाम है ज़िन्दगी।“
ज़िन्दगी की उलझनें सुलझाने में ही समझदारी है, क्योंकि
ज़िन्दगी की उलझी हुई बुनाइयों को सुलझाने के संघर्ष का नाम है ज़िन्दगी,
कभी ख़ुशी, कभी गम, कभी रौनकें और कभी निपट अकेलापन,
दोनों ही परिस्थितियों में अभयारण्यों में विचरने को आकुल और व्याकुल मन,
इसी छटपटाहट और बेचैनी का अपभ्रंशात्मक रूप,
तल्ख़ सच्चाइयों से रूबरू कराती,
कभी हँसी के फव्वारों से सराबोर,
और ठहाकों के कहकहों से लबरेज़,
और कभी वीरानी के अन्धकार की कालिमा
छितराती, बिखराती रवानी का नाम ज़िन्दगी,
कभी गर्म लू के थपेड़े, तो कभी हिमपात सी ठंडी बर्फीली शाम है ज़िन्दगी,
तूफानों और झंझावातों सरीखी ऊहापोह में अटकती भटकती,
अनाम, बेनाम, बेलगाम, गुमनाम रास्तों पर चलते रहने का नाम ज़िन्दगी,
कभी लौहपथगामिनी सी द्रुत और वेगवान,
तो कभी कछुए-सी धीमी सुस्ताती चाल है ज़िन्दगी,
कभी पुष्पवर्षा से लबालब,
कमलदल सी सुगन्धित,
अगरबत्ती और लोबान-सी खुशबूदार है ज़िन्दगी,
कभी दीये की लौ सी टिमटिमाती,
एक-एक सांस को छटपटाती,
अभावों के खट्टे-मीठे अनुभवों से
तिलमिलाती, कसमसाती,
जीवन और मृत्यु की महीन-सी, बारीक-सी रेखा के मध्य
हिंडोले-सी हिचकोले खाती,
बिना चप्पू, बिना पतवार है ज़िंदगी,
कभी हसीन, कभी चित्ताकर्षक,
तो कभी बेज़ार, बेनूर, बेरौनक और
बीच मँझदार गुड़-गुड़ गोते खाती नाव है ज़िन्दगी,
कभी ढोलक की थाप,
कभी मंजीरे-सी मधुर,
कभी बांसुरी सरीखी तान,
तो कभी तबले की तकधिनाधिन, तकधिनाधिन धमक,
तो कभी मृदंग और तानपुरे का मिश्रित आलाप है ज़िन्दगी,
कभी बच्चों-सी सहज, निश्चल, भोली, चंचल कदमताल का नाम है ज़िन्दगी,
तो कभी उम्र के आखिरी पड़ाव पर
अपने शरीर का बोझ खुद ही उठाती,
निष्प्राण-सी लरजती, मरमराती, थर्राती-सी चाल है ज़िंदगी,
कभी प्रेमालाप को आतुर,
अपने समवयस्कों में विचरती समोती,
किस्से कहती, कहानियां सुनाती, हंसती-हंसाती,
अपनी मनमोहक और दिलकश अदाओं से सबका मन बहलाती-फुसलाती ज़िंदगी,
तो कभी प्रेम में छले गए,
उद्विग्न मन और रुग्ण तन पर
पारे के तापमान-सी चढ़ती-उतरती रफ़्तार है ज़िन्दगी,
कभी जीवन की अनूठी अलौकिक शक्ति का प्रदर्शन कराती,
सृजनात्मकता का चहुं ओर साक्षात् दर्शन कराती,
स्नेह, प्रेम, त्याग, वात्सल्य ममता, अनुराग, वात्सल्यता
और लावण्यता से भरपूर है ज़िंदगी,
तो कभी मृत्युशैया पर अंतिम साँसें लेती, अपनी अंगुलियों पर कर्मों के
लेखे-जोखे, जमा-घटा-गुणा-भाग करती,
पुण्य-पाप की गुपचुप गणना करती,
तन्हाइयों में भी कोलाहल-सा उत्पात मचाती,
एक अनोखा, विचित्र परिहास है ज़िंदगी,
कभी एकटक शून्य में निहारती,
निरुद्देश्य यत्र-तत्र-सर्वत्र भटकती एक हवा के झोंके-सी शीतल बयार है ज़िन्दगी,
तो कभी हृदय की अतल गहराइओं में असीम आनंद -परमानंद की अनुभूति लिए,
ऊर्जा, उल्लास और उत्साह से सम्पूर्णता सा भरा-पूरा उपहार है ज़िन्दगी,
कभी टिप-टिप, रिमझिम पानी-सी रिसती,
अपने संग सभी के दुःखों और कष्टों को उलझाती, सुलझाती, जानती-समझती,
शनैः-शनैः अपना हर कदम फूंक-फूंककर रखती,
बहुत अक्लमंद और होशियार है ज़िन्दगी,
कभी रूठी हुई-सी, कभी सिमटी-सी और तनिक शरमाई-सी,
छुई-मुई सी सकुचाई-सी,
आम की अमराई सी बौराई सी,
कभी पतझड़-सी, कभी बसंत समान,
कभी तीखी खट्टी मीठी सी,
कभी सौंधी मिट्टी की खुशबू सी,
कभी दुग्ध सरीखी, उजली-सी,
और कभी-कभी विषादग्रस्त,
अपमान क्षोभ से क्षुब्ध दु:खी,
और कभी-कभी तो आत्ममुदित, प्रलापों का है नाम ज़िन्दगी,
कभी स्वप्नलोक से जागी हुई,
कभी खामोशी से ढकी हुई,
कभी मीठी-तीखी नोकझोंक,
कभी बिलावजह की रोक-टोक,
इन सब को मिलाकर बने हुए सतरंग का ही है नाम ज़िन्दगी,
कभी हंसती-सी, मुस्काती-सी,
रेशमी झालरों सा झिलमिलाती सी,
कभी उलझी-सी, कभी सुलझी-सी,
कभी जर्रा-जर्रा बिखर-बिखर,
कभी चोर-उचक्कों सी तितर-बितर,
कभी सुलझी, कभी व्यवस्थित-सी,
कुछ ऐसी ही टेढ़ी-मेढ़ी,
सर्पीली-सी, गर्वीली-सी,
मतवाली छैलछबीली-सी, इक चतुर-चंचल-सी नार ज़िंदगी,
कभी सप्त सुरों की ताल सी सुघड़,
तो कभी कंटीली कतार ज़िंदगी,
कभी इंद्रधनुष-सी चमकीली, सतरंगी और रंगीली,
किसी टूटी-फूटी चारपाई पर, उधड़ी हुई निवाड़ ज़िंदगी,
एयरकण्डीशंड कमरे के कोने में बर्फ की सिल्ली समान,
जमता हुआ पाषाण ज़िंदगी,
मंदिरों में घंटों की गूँज,
चर्च में पादरियों का व्याख्यान,
गुरुद्वारे में शीश नवाती और मस्जिद में गूंजती 'अजान' ज़िंदगी,
कभी चीते-सी फुर्तीली, सतर्क, चौकन्नी, सावधान, होशियार ज़िन्दगी,
कभी दिमाग की नसों को चटकाती,
चकरघिन्नी सी गोल-गोल,
कभी त्रिशंकु, कभी पिरामिड, कभी शून्य,
तो कभी-कभी आयताकार ज़िंदगी,
कभी मोम-सी मुलायम,
तो कभी शिला-सी कठोर.
नित नए-नए अनुभव रोज़ कराती,
इसी दौड़- धूप और सुबह-शाम की कवायद का ही नाम ज़िन्दगी,
कभी फैलाती हरियाली,
कभी खिलाती नए फूल,
कभी चिंताओं को झाड़ परे,
नरम-मखमली गद्दों पर
पुरसुकून से पसर जाने का नाम ज़िन्दगी,
पुरसुकून से पसर जाने का नाम ज़िन्दगी।