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जब भी मै इस कहानी को याद करता हु मुझे डर के साथ साथ गुस्सा भी आता है,लोग कहते है की दुनिया मे भूत पिशाच ओर आत्माए होती है,पर मै नही मानता था।पर जब मैने अपनी दोस्त की कहानी सुनी,तब मेरे दिल ने मान लिया की भूत पिशाच तो नही पर आत्माए तो होती है।यह घटना ३ साल पहले की है,पर फिर भी आज भी उसका जिक्र होता है,मेरी रुह कांप उठती है।
यह कहानी मेरे दोस्त राघव शर्मा की है,राघव मुबंई शहर मे रहता है ओर एक आर्किटेक्ट है ,दिखने मे जितना सुंदर उतना ही उसका दिल साफ।ओर उसको सब की मदद करना पसंद था।वह उनदिनो की बात है जब मेरे दोस्त का तबादला हिमाचल प्रदेश मे हुआ था,एक प्रोजेक्ट के कारण ।वैसे वह बहुत खुश था,क्योकि उसका तबादला गर्मी के मौसम मे हुआ था, ओर दुखी इसलिए था क्योकि सारे दोस्तो से ओर अपने परिवार से दूर जाना था।जब राघव हम सबसे मिलकर जा रहा था तब राघव के चेहरे पर अलग खुशी थी।जब राधव हिमाचल प्रदेश मे पहुंचा तब वह बेहद खुश हो गया था ,वैसे उस जगह की बात ही कुछ ऐसी है,की कोई भी वहा पर जाए तो खो जाए।ठंडी हवा, प्यारा ओर सुहाना मौसम।।।।।।राघव पहले तो अपने आउटहाउस मे गया जो कंपनी वालो ने उसे दिया था,पर वह जगह एक बडे कब्रिस्तान से होकर आउटहाउस के रास्ते मे पडता था,जितना यह शहर मनमोहक था उतना ही वह कब्रिस्तान डरावना था।ओर वहा के लोगो का मानना यह था कि इस कब्रिस्तान से रात को आत्माओ की आवाजे आती है,पर राघव उस बात को सिर्फ अफवाह मानता था। क्योकि राघव आत्मा को मानता ही नही था।अपना सामान रखने के बाद वह फ्रेश हुआ उसके बाद थोडा आराम करके वह शहर घुमने चला गया।ओर रात को खाना खाकर वापस अपने आउटहाउस मे आ गया।दुसरे दिन से राघव अपने काम की जगह जाकर काम संभालना चालु कर दिया।वैसे सुबह के समय कब्रिस्तान की जगह बहुत ही शांत होती थी,कोई हलचल नही होती थी।पर जब राघव रात को कब्रिस्तान की जगह से अपने आउटहाउस जा रहा था,तब एक लडकी राघव से टकराइ ओर मदद माँगकर कहने लगी की मेरे पीछे कुछ बदमाश पडे है तो प्लीज आप मेरी मदद करीये,।। तब राघव ने उस लडकी को बोला आप शांत हो जाओ,ओर ईधर उधर देखने लगा पर कोई नही था तब राघव ने कहा आप डरो मत मै ईधर हु ।।।।। लगता है वे लोग भाग गए है।उसके बाद राघव उस लडकी को शांत करवाता है ओर वह लडकी राघव को थैंक्यू कहती है।उसके बाद वे लोग कब्रिस्तान के रास्ते पर चल रहै होते है ऐसे ही चलते चलते राघव ने उस लडकी को पूछा
राघव (उस लडकी की तरफ देखकर):आप ईधर ही रहते हो?
लडकी (राघव की तरफ देखकर):हा!!!!मै यहा की हु।
राघव (मुस्कराते उस लडकी की तरफ देखकर):ओहो!!!आपका नाम??
लडकी(राघव की तरफ देखकर ओर मुस्कुराते):मैरा नाम काव्या खान है।
काव्या (राघव की तरफ देखकर):ओर आप?लगता है आप नए हो,इधर के नही लगते हो?
राघव(मुस्कुराते हुए काव्या की तरफ देखकर):हा!!मै यहा का नही,मै मुबंई मे पलाबडा हु।। वैसे मै पेशे से एक आर्किटेक्ट हु।।मैरा यहा तबादला हुआ है।।।
काव्या (मुस्कुराते हुए देखकर राघव की तरफ देखकर):मै एक स्टूडेंट हु,ओर मै इंजीनियरिंग कर रही हु।
राघव:ओहो अच्छा।
राघव(क्यारियोसीटी मे):वैसे इतनी रात को कहा से आ रही थी आप? ओर वो भी अकेले??
काव्या:क्लास से,आज क्लास लेट था ओर मै अपने परिवार को परेशान नही करना चाहती थी इसलिए मै अकेले आ रही थी।
ऐसे ही बात करते करते वे लोग काव्या के घर की तरफ आ गए, तब काव्या ने राघव को रोककर कहा,घर की नजदीक नही ,मैरी अम्मी ओर अब्बु देखलेंगे तो तकलीफ हो जाएगी।राघव ने कुछ सोचा ओर कहा,मै समझता हु,चलो बाय !!!!!
वे लोग रोज रात को ऐसे ही मिलने लगे,ओर वे लोग दोस्त बन गए,देखते ही देखते एक महिना बीत गया, पर पता नही क्यो!!!!! काव्या की प्यारी हंसी ओर मासूम चेहरा देखकर राघव को काव्या मे अपनी बहन दिखाई देती थी,एक हफ्ते बाद राघव ने काव्या को बातो ही बातो मे कहा,आज से तुम मैरी छोटी बहन हो,ओर तुम्हे कोई भी तकलीफ होतो इस भाई को याद करना!!!!!।वैसे सब अच्छा ही चल रहा था।जब एक रात राघव अपने काम से वापस आ रहा था,तब उसने काव्या को,रास्ते पर नही देखा तो वह थोडा परेशान हो गया!!! बाद मे उसने सोचा की, शायद कुछ काम के कारण आज नही आई होगी।!!!!पर कही दिनो तक राघव को काव्या नही दिखी तो राघव थोडा परेशान हो गया, ओर सोचने लगा की," कुछ बुरा तो नही हुआ है ना ?उसके परिवार मे तो सब ठीक होंगे ना?या फिर कुछ ओर तकलीफ तो नही हुई है ना?ओर क्या पता काव्या को मेरी मदद की जरूरत हो ?"इतने सारे सवालो के बाद राघव को बहुत काव्या की फिक्र होने लगी थी।इसलिए राघव ने नक्की किया की कल उसके घर जाएगा ओर कुछ हुआ भी होगा तो वह उसकी मदद करेगा।जब दुसरे दिन राघव काव्या के घर पहुंचा, ओर काव्या के घर का दरवाजा खटखटाने लगा,तब काव्या के पडोसी ने देखा की कोई काव्या के घर का दरवाजा खटखटा रहा है तब काव्या के पडोसी ने राघव को पूछा की आपको कोन चाहिए?
राघव(उस पडोसी को देखकर):यह काव्या का घर है ना?
पडोसी(कुछ सोचकर):हा!!पर आपको कोन चाहिए?
राघव:मुझे काव्या से मिलना है,बहोत दिन हो गए,वह दिखी नही मुझे इसलिए देखने आया की वह ठीक है ना!!
पडोसी(चौक कर ओर राघव को बहुत ही अजीब तरीके से देखकर ):आप काव्या खान की बात कर रहे हो ना?
राघव (हां मे सिर हिलाकर):हा हा मै उस काव्या के बारे मे पूछ रहा हु,
पडोसी(चौक कर ओर अपने आप से बात करके):यह कैसे संभव हो सकता है?
राघव (पडोसी तरफ देखकर):कुछ प्रॉब्लम हुई है क्या?काव्या ठीक है ना??
पडोसी(अजीब तरीके से देखकर):आप उसे कैसे जानते हो?
राघव :हम एक महीने से, क्यो???
पडोसी(राघव की तरफ अजीब तरीके से देखकर):यह कैसे हो सकता है??
(राघव को वह पडोसी कुछ अजीब लगा इसलिए वह बिना कुछ कहे जाने वाला होता ही तब वह पडोसी राघव को रोककर कहा की, काव्या को मरे पूरे ७ साल हो गए तो आप कैसे उसको मिल सकते हो?)
(राघव चलते चलते चौक कर रुक जाता है ओर उस पडोसी को देखता है ओर उस पडोसी के पास जाकर उसको कहता है की) :यह क्या बकवास कर रहे हो तुम?
पडोसी:मै बकवास नही कर रहा हु,मै सच बोल रहा हु,,,,,सचमे काव्या को मरे पुरे ७ साल हो गए है, मूजे इधर रहते पुरे २० साल हुए है,मैने उसको बडे होते हुए देखा है,ओर उसको दफनाने के वक्त पर भी मै था।पर मुझे आज तक नही पता चला की उसकी मौत कैसे हुई?क्योकि इतनी प्यारी ओर मेहनती लडकी कैसे मर सकती है,मेरे को यह सुनने मे भी आया था की, उसका चरित्र ठीक नही था,पर मै नही मानता, इतनी तहजीब वाली बच्ची ऐसी हो सकती ह।।,जब यह सब राघव ने सुना वह हक्का बक्का हो गया,ओर वहा से बीना कुछ कहे चला गया।पडोसी ने राघव को एसे जाते हुए वह कन्फ्यूजन मे पड गया,ओर राघव को रोकने की कोशिश की पर राघव नही रुका, दुसरी तरफ राघव चौक कर ओर गहरी सोच-विचार करके अपने आउटहाउस की तरफ जा रहा था,तब रात का समय हो चुका था।जब वह रास्ते मे चल रहा था तब पीछे से किसी ने राघव को बुलाया जब राघव ने पीछे मुड़कर देखा तो वहा काव्या खडी थी,काव्या को देखकर राघव एकदम चौक गया ओर डर ने लगा,डर इतना बड गया था की, उसको समझ नही आ रहा था की अभी यह सब हो क्या रहा है???ओर वह क्या करे???इसलिए वह बिना कुछ कहे वहा से आउटहाउस भाग कर आ गया।जब राघव आउटहाउस मे पहुंचा तब वह हाफने लगा ओर डर के मारे पसीना पसीना होने लगा,पहेले तो उसने डरवाजा बंद कर दिया।उसके बाद वह सोफे मे बैठ गया,पर पता नही कैसे राघव की आंख लग गई ओर वह सो गया।अचानक राघव को एक सपना आता है उस सपने मे उसको काव्या दिखती है,ओर काव्या को देखकर राघव उससे दूर जा रहा होता है तब काव्या उसको रोककर कहती है
काव्या (राघव को रोककर):भाई,मैरी बात तो सुनो?
राघव (दुर जाकर ओर डरकर):मै क्यो सुनु तुम्हारी बात?तुम एक छलावा हो!!तुमने बस छला है मुझसे दुर हो जाओ।
(यह कहके राघव काव्या को देखकर फिर से दूर भागने लगता है।)(काव्या राघव को रोककर कहती है)
काव्या :भाई सचमे !!आपने मेरे को बहन माना है तो प्लीज एक बार मेरी बात सुनलो ओर उसके बाद आपको जो भी करना हो वह करलेना।
(राघव यह सुनकर ओर रुककर काव्या की तरफ देखकर )
काव्या:मै इसी शहर मे पलीबडी हु,मैरा पुरा बचपन यहा पर गुजरा है,मै बहुत ही शरारती लडकी थी पर सबलोगो की लाडली थी,मुझे यहा के लोग बहुत ही अच्छे से जानते थे।हम ह इतने अमीर नही थे,पर अम्मी ओर अब्बु ने मेरे सारे सपने पुरे किए, मुझे नई नई चीजो का आविष्कार करना बहुत पसंद था,मैने बचपने बहुत ही एक्सपेरिमेंट किए थे,ओर आगे जाकर मुझे एक साइंटिस्ट बन ना था,इसलिए मुझे अच्छी से अच्छी कॉलेज मे पडाने के लिए भेजा, पैसो की भी चिंता नही की।मै जहा पढती थी वह इस शहर का नामी कॉलेजो मे से एक कॉलेज था,उस कॉलेज का नाम एन एल था। सब अच्छा ओर बढीया चल रहा था।लाईफ आसान नही थी,पर मुश्किल भी नही थी।पर एक दिन मै जब कॉलेज से बाहर जा रही थी,तब दो लडके ने मुझे छेडा उसमे एक लडका कॉलेज के ट्रस्टी का बेटा था,उसका नाम सुनील पाटील था।ओर दुसरा उसका दोस्त था।पहले तो मेने उनको अवॉइड किया पर जब वे लोग अपनी सीमा से आगे जाने वाले थे, तब उनको रोककर मैने उनको सबके सामने थप्पड मार दिया।।,वह बात उनको बहुत बुरी लगी,पर उस समय वे लोग ने सबको खुन्नस मे देखा,ओर उनको बहुत ही अपमानित महसूस हुआ पर वे लोग बीना कुछ रियेक्ट करे वहा से चुपचाप चले गए ।पर उनकी लोगो की आंखो मे गुस्सा दिक के आ रहा था,तब मैरी दोस्त ने मुझे बोला,जो तुने अभी किया है ना सही नही किया है!!!!,आगे जाकर ध्यान रखना की कुछ प्रॉब्लम ना हो जाए। तब मैने कहा ,मैने तो शुरुवात तो नही की थी,वे लोग आगे आ रहे थे,!!ओर यह एक बार होता तो मै भुल भी जाती, पर यह बार बार हो रहा था,तो सबक तो सिखाना पडेगा,यह सुनकर मैरी दोस्त यह बोली की,तु बस अपना ख्याल रखना ओर सावधानी बरतना। यह बात करके मै घर की तरफ जा रही थी,तब मेरे सामने एक वेन आकर खडी हुई ,ओर मै कुछ रियेक्ट कर पाती उसे पहले उनलोगो मुझे वेन मे जबरदस्ती बीठा दिया।जब मेने अंदर जाकर देखा तो वे दो लडके थे,जिसने थोडे समय पहले मेने थप्पड मारा था।ओर मै कुछ बोल पाती उसके पहले उनलोगो ने मुझे बेहोश कर दिया।जब मुझे होश आया तब मै एक कमरे मे थी,ओर कमरे मे कोई नही था।ओर मेरे हाथ ओर पाव रसी से बंधे हुए थे,मैने बहुत कोशिश की अपने आप को छुड़ाने की पर कामयाब नही हो पाई, तब ही वे लोग कमरे मे दाखिल हुए ओर मुझे देखकर हंसने लगे हंसते हंसते कहा की, बहुत हिम्मत आई थी ना तुम्हे उस समय मुझे थप्पड मारने की अब सजा भुगतो!!यह कहकर उनदोनो ने मैरे सारे कपड़े उतार दिए ओर बारी बारी मेरे साथ रेप किया ओर बस मै चिल्लाती रही ओर माफी मांगती रही पर मै कुछ कर ना सकी।ओर यह सिलसिला हफ्तो तक चलता रहा,पहले तो दो थे,उसके बाद बडते गए, ओर मै बस तडपती रही।ओर मदद की भीख मांगती रही,ओर माफी मांगती रही पर वे लोग मैरे शरीर के साथ खेलते रहै।मैने अपने अम्मी अब्बु का वास्ता दिया पर वे लोग रुके नही।ऐसे ही सहते सहते मेरी मौत हो गई।जब मेरी मौत हुई तब मेरे शरीर मेसे मेरी आत्मा अलग हो गई,पहले तो मै उनलोगो मारने के लिए आगे गई,पर मै उनलोगो के आरपार चली गई, तब मुझे अह्सास हुआ की मौत हो गई ओर मै कुछ नही कर सकती।। दुसरी तरफ उनलोगो ने देखा की मेरी मौत हो गई है ,तब वे लोग बहुत डर गए उनको समज मे नही आया की क्या करे ??तब उस ट्रस्टी के लडके मतलब (सुनील) ने सोचा की इनसब से बस हमे मेरे बाबा हरविंद्र पाटील ही बचा सकते है।तब फटाफट सुनील ने अपने पापा को फोन करके उस जगह पर बुलाया जहा पर उनलोगो ने काव्या को रखा था।जब हरविंद्र आया ओर उसने यह सब देखा पहले तो सुनील ओर दोस्त को थप्पड मारा ओर पूछा यह लडकी कोन है?तब सुनील से नाम बताकर सारा सच बता दिया,यह सब सुनकर ओर थोडी देर कुछ सोचने के बाद वे लोग हरविंद्र बोला अभी तुम लोगो ने जो किया है उसकी वजह मै अपनी रेपयुटेशन नही बिगाड सकता।अब लगता है मुझे ही कुछ करना पड़ेगा,ऐसा कहकर हरविंद्र ने अपना फोन निकाला ओर किसी को कोल किया ,ओर यह बोला की मै तुम्हे एक लडकी की फोटो भेजता हु उसके बारे मे बहार कैरेक्टर लेस बता दो,उसके असलीन फोटो वायरल कर दो।ओर उसकी इतनी बुराई करो की कोई भी उसके लिए अच्छा ना बोल पाए,पर दुसरी तरफ काव्या के अम्मी ओर अबबु काव्या की फिक्र मे रोज पुलिस स्टेशन जाते थे,पर कोई जवाब नही मिलता था।पुलिस वालो को भी पता था इनसब मे किस का हाथ था,ओर वे लोग किसी झमेले मे नही पडना चाहते थे,इसलिए वे भी कोई मदद कर रहे थे।जब यह न्यूज आग के माफीक वायरल हो गई उसके कुछ घंटे बाद मेरे अम्मी अब्बु को मेरी लाश मिली, पर ऐसी हालत मे की कीसी को दिखा ना सके,ओर मे मजबूर बस यहसब दुर सिर्फ देखकर रही थी,ओर सब जगह मेरी बदनामी के कारण मेरे अम्मी अबबु ने मुझे जल्दबाजी मे दफना दिया।हमारे पडोस को छोड़कर किसी ने हमारा साथ नही दिया,मेरे अम्मी अब्बु ने बहुत कोशिश मुझे इन्साफ दिलाने की पर वे लोग कामयाब नही हो पाए। ओर एक दिन वे लोग सरम कारण ओर इतनी जिलदद के कारण उनलोगो ने खुद खुशी कर ली।।,ओर मै लाचार ओर बेबस होकर बस यह सब दुर से देख रही थी,तब मेने अल्लाह को मदद के लिए पुकारा ओर अल्लाह आए भी,तब मेने उनको पूछा की मेरी इन सब मे क्या गलती थी की, मुझे यह सजा मिली,तब अल्लाह ने बोले यह सब तुम्हारी किस्मत मे लिखा था इसलिए हुआ,ओर किस्मत का लिखा कोई मिटा नही सकता। तब मैने अल्लाह को बोला मेरे साथ जो होना था वह हुआ, पर उसमे अम्मी अब्बु की क्या गलती थी?????,तब अल्लाह बोले मै समझता हु,पर यह सब तकदीर का खेल है ।।।मेने(काव्या)बोला मुझे अम्मी अब्बु के लिए इन्साफ चाहिए तब अल्लाह ने सिर्फ यह बोला की एक दिन एक लडका आएगा तुम्हारी मदद के लिए, ओर पुरे ७ साल के बाद भाई आप ने मुझे देखा।ओर मै डर गई थी की आप मेरी असलीयत जानकर मैरी मदद के लिए मना ना करो तो इसलिए मेने अपनी असलियत छुपाई।जब यह सब राघव ने सुना तो वह हद से ज्यादा चौक गया ओर इमोशनल हो गया,ओर उसको गुस्सा भी आ रहा था।उसके बाद राघव की निंद से आंख खुली तो पहले से ही सवेरा हो गया था।जब उसने आसपास देखा तब उसको समझ मे आया यह एक सपना था,ओर सपने काव्या आई थी।तब थोडी देर सपने के बारे मे सोचकर उसने नक्की किया की वह काव्या की मदद करेगा।ओर वे गुनहगारो को सजा दिलवाएगा।बाद मे राघव तैयार हो कर मंदिर चला गया, कुछ मदद की उम्मीद से की कोई मदद मिल जाए, जब वह मंदिर पहुंचा दर्शन करने के बाद वह मंदिर से निकल ही रहा था, तब उसको एक पुजारीजी मिले,तब वह पुजारी जी के पास गया ओर उनको कहा
राघव (पुजारीजी के तरफ देखकर): नमस्ते पुजारी जी मुझे किसी बडे बाबा के पास जाना है,तो आप उनको जानते हो या आपके पास कोई नंबर है उनका??मुझे किसी की मदद करनी है।
पुजारीजी (राघव की तरफ देखकर):हा!!बेटा मेरे पास है नंबर पर क्या हुआ?मुझे तुम कुछ चिंतित लग रहै हो?कुछ हुआ है क्या???
राघव :हा!!बाबा किसी के साथ बहुत ही बडा अन्याय हुआ है उसको इन्साफ दिलवाना है।
(पुजारीजी ने देखा की राघव हद से ज्यादा सीरियस है )
पुजारीजी :क्या हुआ कुछ बडी अनहोनी हो गई है क्या?
राघव (पुजारीजी की तरफ देखकर):हा!! बाबा बहुत बडी अनहोनी हुइ है ओर वह अनहोनी मै आपको बता नही सकता।
(पूजारी जी देखा की राघव बहुत सिरीयस है,ओर उनको राघव के इरादे बहुत नेक लगे,उनको लगा की, वह सच मे किसी की मदद करना चाहता है इसलिए उन्होने एक बाबा का नंबर दे दिया ।ओर कहा की वह बाबा बहुत ही ज्ञानी है वे तुम्हारी मदद जरुर करेंगे,ओर मै ईश्वर से प्रार्थना करुंगा की तुम जिसकी भी मदद करना चाहते हो तुम उसमे सफल हो)
राघव ने बीना समय गवाए वह बाबा के पास चला गया,जब राघव बाबा के पास गया, तब बाबा ने बीना कुछ पुछे तुरंत कहा
बाबा (मुस्कुराकर राघव की तरफ देखकर):मुझे नही लगा था,की तुम इतने जल्दी आओगे?
राघव (चौकते हुए बाबा की तरफ देखकर):आप को कैसे पता की मै आने वाला हु?
बाबा(मुस्कुराकर):मुझे सब पता है की तुम क्यो आए हो?सचमे मानना पडेगा इस जमाने कोई एक इंसान दुसरे इंसान की मदद नही करता ओर तुम एक आत्मा की मदद कर रहे हो? तुम बहुत भले इंसान मालूम लगते हो।
राघव (चौक कर):आपको कैसे पता??
बाबा:मुझे सब पता है,पर उस लडकी के साथ बहुत गलत हुआ है,उसको इंसाफ तो मिलना ही चाहिए ।
राघव(गुससे मे ओर कन्फ्यूजन मे):हा!!वो तो है,पर एक सवाल है बाबा,मुझे ही भगवान ने क्यु चुना इनसब के लिए??
बाबा(हंसकर):मुजे लगता है,तुम ११ साल पहले का वाक्या भुल गए हो?
राघव (कुछ सोचकर):कौनसा वाक्या???
बाबा: कुछ साल पहले तुमने एक बच्ची को बचाया था,उस समय भी कोई उस लडकी को छेडरहा था,ओर तुमने उसकी मदद की थी।वह लडकी ओर कोई वही लडकी है जिसके लिए तुम इंसाफ के लिए इधर आए हो!!
राघव (यह सुनकर ओर थोडी देर सोचने के बाद चौक कर):हा!! याद आया याद आया, क्या किस्मत का खेल है, आप की किस्मत किसी के साथ जुडी हुई रहती है तो सचमे किस्मत घुमा फिरा के मिलवा देती है।
बाबा(राघव की तरफ देखकर):यही तो किस्मत का खेल है।
राघव(बाबा की तरफ देखकर):तो क्या बाबा आप हमारी मदद करेंगे??
बाबा(राघव की तरफ देखकर):अवश्य करेंगे,पर उसके लिए उस लडकी की आत्मा को इधर बुलाना होगा,तब जाकर मै उसकी मदद करके उसको सारी शक्ति दे पाउंगा।इसके बाद बाबा अपनी विद्या से काव्या की आत्मा को अपने पास बुलाते है ओर सारी शक्तिया काव्या की आत्मा को दे देते है।उसके बाद बाबा काव्या को कहते है,यह शक्तीयो का कोई गलत इस्तेमाल मत करना ओर गलती से भी कोई गलत काम कर दिया तो यह सारी शक्ति काम की नही रहेगी,सारी शक्तिया मिलने बाद, काव्या गुस्से मे उन गुनहगारो को मार ने के लिए निकल जाती है,तब राघव उसके पीछे जाता है रोकने के लिए, पर काव्या नही रुकती तब राघव गुस्से मे बोलता है,जाओ तुम जाओ मारने उनलोगो,पर मारने से क्या तुम्हारा मान सम्मान वापस आएगा?क्या उनलोगो को मारने तुम्हारे अम्मी ओर अबबु की आत्मा को शांती मिलेगी?अगर मिलेगी तो जाओ,मै नही रोकुंगा। तब काव्या रुक जाती ओर राघव को देखकर बोलती है,तो मै क्या करु भाई, उनलोगो को ऐसे ही छोड दु?
राघव कहता है,किसने बोला उन लोगो को छोडने के लिए,पर तुम उनलोगो के मुह से अपना जुर्म कबुल तो करवा सकती हो ना!!जब वे लोग अपना जुर्म कबुल करेंगे,तुमे अपने आप इन्साफ मिल जाएगा।
काव्या राघव को शांत होकर पूछती है, कैसे भाई?तब राघव कहता है,अब तो तुम्हारे पास सारी शक्तिया है तो उस शक्तियो का इस्तेमाल करो ओर उनलोगो को इतना डराओ की वे लोग उनका जुर्म कबुल कर दे।तब काव्य राघव की बात मानकर उनलोगो को काव्या बहोत डराती है,कभी धर मे लाइट्स चालु बंद करके तोकभी ऑफिस मे उस इंसान के अंदर धुस कर अजीबो गरीब हरकते करवाके कभी कार मे अपने आप स्टेरींग घुमाके एक्सीडेंट करवाते करवाते बचाते,काव्या ने उनलोगो को ओर भी ज्यादा डराने के लिए उनके सामने आई जब वे लोगो ने काव्या को देखा, तो वे लोग काव्या को देखकर हक्का बक्का हो गए, डरकर वे लोग बोले तुम तो मर गई थी,तो वापस कैसे आ गई?तब काव्या बोली,मै अपना बदला लेने आई हु,ओर कहा उनलोगो को ,चुपचाप अपना जुर्म कबुल कर दो सबके सामने!!!!!नही अंजाम बहुत ही बुरा होगा।वे लोग काव्या को देखकर इतना डर गए की उनलोगो ने अपना जुर्म सबके सामने कबुल कर दिया,उसके बाद उनलोगो कोजेल हो गई। उसके बाद काव्या के आत्मा को शांती मिली जब काव्या के जाने का वक्त आया, तब राघव बहुत ही इमोशनल हो कर बोला, क्या जाना जरुरी है?तब काव्या बोली,थैंक्यू भाई आपने मैरी बहुत मदद की है,आपने जो किया है ना मेरे लिए वह कोई ओर कर ही नही सकता।थैंक्यू भी बहुत छोटा शब्द है,बस मै इतना ही कहना चाहती हु आप अपने आप कोबदल ना मत ऐसे ही रहना।तब राघव कहता है मत जाओना तब काव्या बोली मुस्कुराकर आपको क्या लगता है!!,मै आपको छोड़कर जा रही हु,ऐसा तो हो ही नही सकता,मै इसलिए जा रही हु की बहुत जल्द आपके पास आपकी बेटी बनकर आउ,यह सुनकर राघव ओर भी ज्यादा इमोशनल हो गया ,ओर उसको विदा कर दिया,ओर देखते ही देखते राघव ने शादी कर ली,ओर २ साल बाद राघव को लडकी हुई,ओर राघव ने उस लडकी का नाम काव्या रखा।
कभी कभी नियती ऐसा खेल खेल जाती है की कुछ समझ मे ही नही आता।