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कहानी बनती है,
जब अपना खुशी किसी और के साथ बनती है।
कहानी बनती है,
जब नया दोस्ती आती है।
कहानी बनती है,
किसीने हमे टॉक दिया है।
कहानी बनती है,
जब हम नया कदम उड़ाते है।
कहानी बनती है,
जब कोई डिप्रेशन में डूब दिया हो।
कहानी बनती है,
जब लाइफ में सक्सेसफुल होती है।
जो हो,
कहानी तो बनती है सबकेलिए।
जो दुख या सुख
ऊपर और नीचे,
कर्मा और फिथरथ,
सब बनती है कहानी।
तो कहानी बनने से डरना क्यों,
बुरि कहानी बनाना मानव का फुथरथ है।
उसे बदल नही सकती,
पर उस कहानी बनने से डरकर,
खुद की न इंसाफ मत कर।
हमारी डर है वो चीज़,
जो हमारी खुद की है।
उसे बदलना ज़रूर हो सकता है।