दान करके ना करे अभिमान
पाये सिर्फ सुख और समाधान।
रक्तदान या नेत्रदान करते वक्त पता नहीं होता की रक्त या आंखे हम किसे दे रहे। वैसे ही हर प्रकार का दान ऐसा करे जिसमे कोई स्वार्थ नहीं हो, तो वह अधिक फलता है और जरूरतमंद के उपयोगी होता है।
हम विविध प्रकार के दान मे योगदान कर सकते जैसे:
१) वस्त्रदान – कपड़े पुराने और छोटे हो गये, तो किसिको देना यह कोई उचित दान नहीं। नये कपड़े जैसे कंबल, चादर या कोई भी पोशाक जरूरतमंद को देना कहलाता है वस्त्रदान।
२) अन्नदान – हमारा पेट भर गया इसलिए बचा हुआ खाना भूखे को देना यह दान नहीं कहलाता। किसिको भर पेट ताज़ा खाना खिलाना कहलता है अन्नदान।
३) श्रमदान – फोटो के लिए झाड़ू हाथ मे लेना यह कोई श्रमदान नहीं। सफाई कर्मचारी कचरा उठाकर करते है असली श्रमदान।
४) विद्यादान – कोचिंग क्लासेस मे अतिरिक्त शुल्क लेकेर विद्या देना कोई दान नहीं कहलाता। गुरु की दी हुई अच्छी शिक्षा कहलाती है विद्यादान।
५) मतदान – मत का दुरुपयोग करके मतदान मे भागीदार मत बनिये। अपनी मर्जी और समज से मत देना यह कहलता है मतदान।
६) धनदान – अपने धन का एक हिस्सा जरूरतमंद, किसान, अस्पताल, अनाथालय, मुकबधिर, वृद्धाश्रम इत्यादि को देना यह असली धनदान है।
७) रक्तदान – बिना स्वार्थ के किसोको भी रक्त देना कहलाता है श्रेष्ठदान।
८) कन्यादान – माता-पिता अपनी बेटी के लिए उपयुक्त वर चुनकर करते है कन्यादान।
९) अभयदान - भयभीत जीवों की रक्षा करने का वचन देना, असली अभयदान है।
१०) जीवनदान – अपराधी को फाशी से बचाकर जीवन देना यह कोई दान नहीं। डॉक्टर मरीज को हमेशा देते है जीवन दान।
११) बलिदान – हमारे जवान देते है देश के लिए बलिदान । सभी वीरों को शत् शत् नमन।
१२) तुलादान – वजन के बराबर जरूरतमंद को दिया हुआ सामान तुलादान कहलाता है।
१३) पिंडदान - पित्रों की आत्मा को श्रद्धांजलि देने की क्रिया यह पिंडदान कहलाती है।
१४) गोदान – मृत्य के बाद का सफर सरल हो इस के लिए दिया हुआ दान । गोरक्षण करके गोदान करना कहलाता है असली दान।
१५) अंगदान – पैसों के लिए किड्नी या कोई अंग देना यह कोई दान नहीं ।
बिना स्वार्थ के दिया हुआ अंग कहलाता है अंगदान।
१६) नेत्रदान – मरणोपरांत बिना स्वार्थ का दिया हुआ महादान है।
१७) त्वचादान – मृत्युपश्चात दिया हुआ दान। त्वचादान से ,हादसे मे जले हुए लोगों को नया जीवन मिलता है।
१८) देहदान – चिकित्सा शिक्षा के लिए दिया हुआ सबसे श्रेष्ठ दान है और यह आधुनिक युग की मांग भी है।
दान करने से हम अपना और दूसरे का वर्तमान और भविष्य बदल सकते है। इसलिये जिसको जो उचित लगे उतना दान मे भागीदारी करे।