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बुराई पे अच्छाई की जीत का प्रतीक है होली
आँगन मे निकालते है सुंदरसी रंगोली
होलिका दहन मै चढाते है नारियल और रोली
शौक से खाते है गुजिया और पुरणपोली।
रंग खेलने आती है सखी सहेली
नाच गाना करते है बनाके अलग अलग टोली
सभी के चेहरे पे चढ जाती है रंगों की लाली
रंग से भरे चेहरे को पहचानना है एक पहेली।
ठंडाई पीते है दो चार प्याली
मस्ती के लिए मिला देते है भांग की गोली
भांग पीकर अजीबसी हो जाती है सभी की बोली
रंग और भांग के साथ करते है हंसी ठिठोली।
पिचकारी से रंग डालकर बच्चे मचाते है खलबली
पानी के गुब्बारे के साथ छुप कर खड़े रहते है हर गली
खेल खेल के कर देते है पानी की टंकी खाली
रंग से आखों और त्वचा की करनी चाहिये रखवाली।
धूलिवन्दन के दिन दुनिया लगती है रंगीली
हास्य कवि सम्मेलन मे सुनाते है कविता चुलबुली
कविता और शायरी बोलते है नुकीली और कटीली
और कहते है बुरा न मानो होली है रंगवाली।
रंग मे भंग डालने आते है कुछ मवाली
अश्लील गाने के साथ बजाते रहते है ताली
जबरदस्ती लगाते है रंग और देते है गाली
खेलनी चाहिये सभीने सभ्यता और संस्कृति की होली।

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