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आसमान मे लहराता हूँ मै
कहलाता पतंग हूँ मै
रंगों से भरा हूँ मै
मांजा और हवा पे निर्भर हूँ मै।

मकर संक्रांति के त्योहार मे
आसमान मे नजर आता हूँ मै
रंग बिरंगी कागज से बनता हूँ मै
हर उम्र को खुश करने का जरिया हूँ मै।

पतंग हूँ आसमान छूता हूँ मै
पतंगबाज़ी से आनंद देता हूँ मै
दोस्तों और परिवार के लिए प्रतियोगिता हूँ मै
छत पर एकसाथ सभी को साथ लता हूँ मै।

विभिन्न आकार और कलाकारी से बनता हूँ मै
ऊंची उड़ान भरकर मनोरंजन करता हूँ मै
मांजे से कट जाए हाथ तो दुख का कारण हूँ मै
मुझे काटे जाने की खुशी देता हूँ मै।

मांजे के बिना अधूरा हूँ मै
हवा के साथ उड़ता हूँ मै
कला और संस्कृति का अंश हूँ मै
आसमान को रंगीन बनाता हूँ मै।

हर राज्यों मे उड़ता हूँ मै
हर धर्म के साथ हूँ मै
एक भारत श्रेष्ठ संस्कृति का प्रतीक हूँ मै
मिलजुल के रहना सिखाता हूँ मै। 

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