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मन करता है दुनिया के
सारे पैसो को आग लगा दूँ
मन करता है लालच की
हर एक दौलत को राख बना दूँ
पैसा पैसा पैसा पैसा
कितना पैसा कैसा पैसा
अपनापन जो खाक बना दे
वह पैसा है रद्दी जैसा
पैसो के आगे अब ना कोई
रिश्तो का कुछ मोल बचा है
जिसकी जेब में पैसा हो
बस वही सभी के दिल में सजा है
इंसानियत का खून कर गया
पैसो के कारण देखो तो
आज सभी का ज़मीर मर गया
पैसो का निर्माण हुआ की
जीवन कुछ आसान बने
ना की पैसो की लालच में
मन्दबुद्धि इंसान बने
पैसा पैसा करता है जो
पैसो पर पलपल मरता है जो
ऐसी सोच के आदि, कायल
उनकी यह दुनिया है जो
वह दुनिया तो खुनी है
कातिल, पापी, हत्यारी है
खुशियो का जो खून कर गयी
वो दुनिया अत्याचारी है
ना चाहिए हमे ऐसा पैसा
ना दुनिया ये प्यारी है
सुकून भरी बस वही है दुनिया
जिसे प्रेम से सँवारी है
अब पैसो की बेदर्दी को
सहन करे हिम्मत है नही
जो समझे प्रेम की भाषा
उसी से रखो हमदर्दी
क्योकि पैसो के अंधे
तुम्हे बर्बाद करके जाएंगे
ना जाने ये लालची लोग
ईश्वर को मुँह कैसे दिखाएंगे
ये लोग ना जाने अब और
कितना गिरते जाएंगे