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जब खेल रहे तूम प्रकृति से
तो वो भी तो दाँव चलेगी ना,
पेड़ काटकर तुम रुला रहे
तो उसका भी हिसाब करेगी ना,
खूब अकड़ रहे हो की
तुम तो धरती के ताकतवर हो,
उजाड़ रहे दिन - रात प्रकृति
तुम नीच से नीच जानवर हो,
खेर दिखा लो अपनी ताकत
प्रकृति की भी बारी आएगी,
फिर प्रभु को दोष न देना बेशर्मो
तुम्हारी अकड़ को जब वो गिराएगी.....।

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