देखो बसंत ऋतु आया
नित्य नया परिवर्तन लाया
आते हैं हवा के झोके
मनोरम समय होता
चलते लोग संभलके
इन हवा के झोकों से
कोयल गाते धुममचाते
लोगों का मन भाते
ऐसे समय जब आते भारत में
तो वो ऋतुराज कहलाते
अगर देखना सौभा इस ऋतु का
तो पहाड़ी छेत्रों में जाओ
जहाँ फैला फेलराही ऋतुराज
अपने अनोखी गति को
झील और झरना भी
झूमे इस ऋतु में
अगर विचार करो इस ऋतु पे
पाएंगे परवाह नहीं है
ये अपनी मस्ती से चलता है
चाहे टकराए जो हो जाए लेकिन
नहीं संभलता है
ये मानो वीर ऐसा जो आत्मसमर्पण नहीं करते
टकराजाते मरजाते पर पीछी नहीं हटते
देख के ऐसे वीर को राहगीर हैरान रह जाता है
चलते - चलते राह तक सही तरह चल नहीं पाता है
फटाफट की आवाज आती हैं
जब यह जंगलों में घुसता है
वृक्ष के पत्ते गिरते हैं
और पशु - पक्षी घबराता है
देख हवा के झोके को
हैरान होकर भाग जाता है
कुछ लोग ऐसे भी हैं
जो स्वाद हवा लेते हैं
वे खुले में आकर शरीर में लगाते हैं
यह अनोखी हवा लगने से
शरीर में स्फूर्ति आती है
मुड बदलता और लगता काम प्यारी है
बसंती हवा में लगता धूप भी प्यारी है
कुछ जगहों पे ये उपद्रव भी मचाता है
किसी उडने वाले समान को उड़ा ले जाता है
लोग अफसोच करते हवा पे
पर उनका कुछ नहीं कर पाता है
खेतों में इस ऋतु की शोभा कछु बरनी न जाइ
इनके झोके हरे खेतों में मानो नदी है बहती
लोग निहारे इन झोके को
विशेषता इस ऋतु की है
इसमें हर तरह के वृक्ष कल्प लेते हैं
हरा भरा मानो नव जीवन की ली अंगड़ाई
इस प्रकार हरियाली छाते ऋतु बसंत में
लोग स्वागत करते ऋतु का
रंग, अबीर और गुलाल से
और मस्त हो जाते इस ऋतु उत्सव में
मुख्य उत्सव होते सरस्वती पुजा
जिसमें पुजा होते माता सरस्वती की
प्रतिमा बनती और महोत्सव होते
छात्रों का है ये महापर्व
जिसमें ध्यान धरते पुजा करते
सजाते लोग शीश नवाते
विद्या के देवी को
इस उत्सव से शुरू हो जाता रंग, अबीर
भारत में
जुलुस और नारे से समापन होता इस उत्सव का
इसलिए भारत में विशेष महत्व है
बसंत पंचमी का।