नमो आदित्य रवि प्रभाकर
दिनकर भानु हे दिवाकर
प्रगटव तु मिटते अंधयारा
विश्व को देता तू उजियारा
हाथजोर लोग नमऊ माथा
जय जय हे जीवन के दाता
तू शक्ति देती दुनिया को
सब टिका है तेरे सहारे
जीवन चक्र भी चले तेरे सहारे
प्राणवायु है तेरे सहारे
भेदभाव तू नहीं अपनाते
सबको प्राणशक्ति तु देते
जीते लोग
तेरे सहारे
दुनिया में एक प्रसिद्ध तू है
खेती और उद्योग के दाता
जिसने पाए जब तुम होते
सौरमंडल टिकी है तुम पर
वार्षिक और दैनिक गति भी तुझसे
तू ही नाचे आप नचाए
नाच नाच के राह दिखाए
जीवन पथ की ओर बढ़ाए
काल की गति भी तुमपर
जो जैसे मेहनत अपनाए
वो वैसे सफल होकर दिखलाए
तू बस साथ देती उन्ही का जो सहायक हो अपने का
लोगों के अराध्य देव तुम
तेरा व्रत और उपवास लोग हैं करते
ध्यान धरते तो तु कल्याण करते
छठ में होती तेरी पुजा
अरघ देते लोग शीश झुकाकर
किसानों का तु मानो साथी
वे काम निरधान करे तेरे समय से
फसलों को देती हरयाली
तेरे प्रकाश जब लग जाये
व्याधि को वो दूर भगाए
जीवन को कार्य क्षम बनाए
लोग प्रेरणा लेते तुझसे
जीते रहते तेरे समय से
वही सफल हो पाता है और विजयी कहलाता है।