Image by Victoria from Pixabay

हज़ारों के बीच दिखा एक नयाब शक्स ना कोई यारी ना पहचान पर...
दिखि गेहराई आंखें मैं उसकी
समझी सादगी जीने में उसकी 
हंसी खुश करने लगी मुझे उसकी 
पता नहीं ये चाल थी किसकी। 
कुदरत का कमाल था ये या था किस्मत का खेल
ना समझ पाए थे ये पर समझ पाए 
एक दूसरे की एहमियत हम।
किस्मती खेल या कुदरती चाल
हो गए उनके इश्क में हम यूं ही नहीं बेहाल 
उनके होने से सुकून मिला 
उनके प्यार में जुनून दिखा 
ना कोई मुकाबला था उनका
 ना कोई कभी था उनके जैसा
आसमान जितनी बड़ी लड़ाई लड़ता वो 
फिर भी चेहरे पर मुस्कान हमेशा कायम रखता है वो
कोई करामत से कम नहीं था उसका मिलना मुझसे 
उस चांद ने बना लिया चांदनी हमें उनके आसमान का झट से। 
कुदरत का कमाल था ये या था किस्मत का खेल 
कर दीया खड़ा दो अंजान को सामने एक दूसरे के और बदल दी उनकी यारी को मोहब्बत के रिश्ते में।

.    .    .

Discus