होता होगा बड़ा सा समय का पहिया ,
जो निरंतर धूमता होगा ,
न उसमें कोई गंदगी भरती होगी ,
न प्रदूषण को खुद में समेटता होगा।
निरंतर चलता रहता होगा ,
धरती के चक्रव्यूह को पूरा करता होगा।
धरती के परिवार के हर सदस्य के लिए भी होता होगा ऐसा ही पहिया ,
जो मनुष्य के कर्मों के उर्जा को संचार करता होगा।
चमकता , दमकता होगा यह पहिया जब निरंतर सकारात्मक उर्जा से परिपूर्ण होता होगा।
खुशियां भरी उर्जा का संचार कर अपनी चक्रव्यूह की खूबसूरत गोल बगिया में अच्छे विचारों से प्रभावित हो जाता होगा।
पर थक जाता होगा यह पहिया , जब विचारों का संचार नकारात्मक होता होगा।
कहता कुछ नही होगा , मूक होगा , पर सक्रिय बहुत होगा यह पहिया , जैसे को तैसा का नियम अपनाता होगा।
जब नकारात्मकता से नई उर्जा का संचार करना मुश्किल होता होगा इसका,
तब ही जैसे तेसे का नियम अपनाता पड़ता होगा इसे।
है तो पहिया जो लिया, लौट कर लाना पड़ता होगा , उसी उर्जा के साथ।
ली गई सकारात्मक उर्जा के बदले खुशियां लौटाता होगा , नकारात्मक के बदले खुशियां देने में सक्षम कहाँ हो पाता होगा।
होता होगा काल्पनिक पहिया जो खुशियों को बढ़ाने के लिए , नकारात्मक विचारों में सचेत करने के लिए बना होगा।
लक्ष्य यही होगा इसका धरती में अपने परिवार के लिए खुशियों का संचार कर सके।