कितना भी कोशिश करो, सब कुछ ना पा सकोगे,
हर रास्ते पर चलो, पर सब मंज़िलें ना छू सकोगे।
जीवन की दौड़ में हर कदम में कुछ रहेगा पीछे,
कभी हंसी खो जाएगी, तो कभी सपने
हर चाहत पूरी हो, ये ज़रूरी नहीं,
हर मोड़ पर मिल जाए, वो दूरी नहीं।
जो आज पास है, कल दूर चला जाएगा,
कितना भी संभालो, कुछ तो बिखर जाएगा।
एक हाथ में खुशियाँ, दूजे में है इंतजार,
कभी-कभी छूट जाता है सबसे प्यारा सार।
चाहे जितना पाओ, कुछ कमी रहेगी,
दिल में कहीं न कहीं, तन्हाई बहकेगी।
फिर भी चलना है, ये ज़िंदगी का फ़लसफ़ा है,
छूटते लम्हों में भी एक नया सपना छुपा है।
कभी हार में जीत, कभी अश्कों में हंसी मिलेगी,
कितना भी कोशिश करो, कुछ ना कुछ तो छूटेगा ही।
कितना भी कोशिश करो, हर दिशा में उड़ नहीं पाओगे,
हर मंज़र को देखो, पर हर सफर तय नहीं कर पाओगे।
जो कल के सपने थे, वो आज का सच ना बनेंगे,
कभी जीत का जश्न, तो कभी हार के पल छू जाएंगे।
हर ख़्वाब की राह में कुछ सवाल छूट जाएंगे,
कभी लोग बिछड़ेंगे, कभी रिश्ते टूट जाएंगे।
जो दिल से चाहा था, वो हर बार नहीं मिल पाएगा,
हथेलियों से पानी सा समय फिसल जाएगा।
हर कदम पर कोई चौराहा इंतज़ार करेगा,
किसी एक राह को चुनोगे, तो कोई छूटेगा।
ये ज़िंदगी यूँ ही आधी-अधूरी सी रहेगी,
हर मुकाम पर एक अधूरापन घेरेगा।
फिर भी इस अधूरेपन में एक सुकून है बसा,
कि हर छूटे पल में एक नया अरमान है खिला।
जीवन की ये राहें यूँ ही रंग बदलती जाएंगी,
कुछ खोकर, कुछ पाकर, हम आगे बढ़ते जाएंगे।
कितना भी संभालो, हर पल मुट्ठी में नहीं रहेगा,
जो कल था पास, वो आज कहीं दूर बहेगा।
ख्वाहिशें दिल में होंगी, पर पूरी कब होंगी कौन जाने,
कभी रास्ते छूट जाएंगे, कभी अपने होंगे अनजाने।
हर सपना आँखों में आकर धुंधला जाएगा,
कभी किस्मत साथ होगी, तो कभी धोखा खाएगा।
जो चाहा था मुकम्मल, वो अधूरा रह जाएगा,
और दिल के किसी कोने में खामोशी बस जाएगी।
चुनोगे एक राह, तो दूसरी पीछे छूटेगी,
फूलों के संग कांटों की चुभन भी साथ आएगी।
हर ख़ुशी के बदले कुछ खोने का एहसास होगा,
कभी जीत में भी अजीब सा सवाल खड़ा होगा।
फिर भी इस सफर में हमें चलते ही रहना है,
हर मोड़ पर कुछ खोकर, कुछ नया पाना है।
ज़िंदगी का यही फलसफ़ा है, यही उसकी रीत,
कितना भी कोशिश करो, हर पल में कुछ छूटेगा ही।
कितना भी थाम लो, पर समय ठहर नहीं पाएगा,
सपनों की चादर बुनो, पर हर तार जुड़ नहीं पाएगा।
कभी मंज़िलें नज़रों से ओझल हो जाएंगी,
कभी खुशियों के बीच में ख़ामोशियाँ समा जाएंगी।
दुनिया की इस भागदौड़ में सब कुछ पाना नामुमकिन है,
हर इच्छा के साथ कोई अधूरी चाहत जुड़ी रहती है।
जो मिल गया है, उसका भी तो एक मोल चुकाना है,
कभी खुद को खोना है, कभी अपनों को छोड़ जाना है।
हर कदम पर कुछ छूटेगा, ये जीवन का दस्तूर है,
कोई हँसी खो जाएगी, तो कोई आंसू ज़रूर है।
सपनों का पीछा करते, कुछ रिश्ते पीछे छूट जाते हैं,
और यादों के कोनों में धुंधले अक्स रह जाते हैं।
पर शायद यही अधूरापन हमें पूरा बनाता है,
हर छूटे पल में एक नया सबक सिखाता है।
कभी हार मानकर रुकना नहीं, बस चलते रहो,
क्योंकि ज़िंदगी का यही सिखाना है
कितना भी कोशिश करो, कुछ ना कुछ तो छूटेगा ही।
कितना भी जतन करो, हर सपना साथ नहीं चलेगा,
कुछ ख्वाब टूटेंगे, कुछ सच में भी अधूरा पलेगा।
कभी जीतते हुए भी हार का स्वाद चखना होगा,
कभी सब कुछ पास हो, पर कुछ खोना भी सीखना होगा।
ज़िंदगी की इस किताब में हर पन्ना साफ़ नहीं होगा,
कभी खुशियों के बीच कोई दर्द दबा मिलेगा।
हर मंज़िल तक पहुँचते-पहुँचते कुछ रास्ते बदलेंगे,
कुछ अपने पीछे छूटेंगे, कुछ सपने भी बहलेंगे।
तुम जितना भी संभालोगे, उतना ही बिखरता जाएगा,
जो आज तुम्हारा है, वो कल यादों में खो जाएगा।
तुम्हारी मुट्ठी में जो है, वो भी रेत सा फिसलेगा,
कभी समय के साथ, कभी परिस्थितियों से झगड़ा होगा।
पर शायद यही अधूरापन जीवन को खास बनाता है,
जो छूटता है, वही आगे बढ़ने की राह दिखाता है।
इस सफर में हर कमी एक नई दिशा का नाम है,
क्योंकि ज़िंदगी का यही खूबसूरत अंजाम है
कितना भी कोशिश करो, कुछ ना कुछ तो छूटेगा ही।