भारत देश में महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है| महिलाओं के साथ बदतमीजी, छेड़छाड़ के मामले रोज दर्ज किया जा रहे हैं l एन.सी आर.बी की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रत्येक घंटे, लगभग 51 मामले महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों के दर्ज हो रहे हैं | 2022 में 4.4 लाख मामले दर्ज किए गए, वहीं 2023 में यह मामले 4% की दर से बढ़ गए |
अब सवाल यह है कि भारत जैसे सफल और विकसित होने वाले देश में जो की आए दिन अपनी उपलब्धियां की कहानियां सारी दुनिया के आगे प्रस्तुत कर रहा है| सिर्फ लड़के ही नहीं लड़कियां भी भारत में आगे बढ़ रही है अपने देश का नाम रोशन कर रही है ओलंपिक से लेकर शैक्षणिक प्रत्येक वर्ग में भारतीय महिलाएं अपने देश का झंडा ऊंचा कर रही है| फिर कौन है जो उन्हें आगे बढ़ने से रोक रहा है ? कौन है जो उनकी सारी मेहनत को अनदेखा कर उन्हें हर कदम पर हारता हुआ देखना चाह रहा है ?
समाज में कुछ ऐसे भी वर्ग हैं जो की लड़कियां को समाज के लिए बोझ समझते हैं | जिनके अनुसार लड़कियां कुछ कर नहीं सकती | वहीं दूसरी तरफ पुरुषों को परिवारों का प्रमुख मानते हैं और परिवार के लिए कमाने वाला और परिवार का इकलौता सहारा समझा जाता है | इसी घटिया सोच के चलते लोग कन्या भ्रूण हत्या का प्रयोग करते हैं | कन्या भ्रूण हत्या का मतलब है कि लिंग के आधार पर गर्भपात कराना | बेटी का पता चलती ही, उसे मां के पेट में ही मार देने की कोशिश की जाती है | सरकार ने इसके खिलाफ सख्त कानून लागू किए है फिर भी लोग गैर कानूनी तरीके से भ्रूण हत्या को अंजाम देते हैं |
समाज में महिलाओं के खिलाफ होने वाले सबसे घातक अपराधों में से एक बलात्कार है| पुरुषों द्वारा महिलाओं के साथ गैर कानूनी तरीके से जबरदस्ती यौन गतिविधि करना, जबरन चोट पहुंचाना एवं यौन संभोग करना यह सब बलातकार के अंतर्गत आता है | यह अपराध कोई नया नहीं है, बल्कि महिलाओं का शोषण इतिहास में कई बार हो चुका है, परंतु आज यह अपराध खतरनाक दर से बढ़ रहा है |
महिलाओं के साथ किए जाने वाला सबसे बर्बर और अमानवीय कृत्य एसिड अटैक है | कुछ लोग अपनी क्रूर मानसिकता के कारण महिलाओं के चेहरे पर एसिड फेकते हैं और उनकी सुंदरता के साथ-साथ उनके गर्भ और आत्मविश्वास को भी नष्ट करने की कोशिश करते हैं | इस बर्बर अपराध के खिलाफ 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान है, इसके बावजूद भी एसिड अटैक के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं |
किसी भी प्रकार की हिंसा जो पीड़ित के घर के सदस्यों द्वारा की जाती है वह घरेलू हिंसा है | इसमें अक्सर पीड़ित के ससुराल वाले शामिल होते हैं जो अपने-अपने खराब मानसिकता के चलते महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करते है | इस अपराध के अंतर्गत महिलाओं के साथ मानसिक, शारीरिक और यौन शोषण आते हैं |
इस अपराध को अंजाम देने वाले लोग बताते हैं की उनकी नजर में महिलाओं की कोई कीमत नहीं है | महिलाओं एवम लड़कियों को कुछ पैसे लेकर बेच दिया जाता है और बाद में उन्हें यौन शोषण, वैश्यावृत्ति, अश्लील साहित्य के लिए उपयोग किया जाता है |
आज भी, जबकि लड़कियां हर मैदान में अपना और अपने देश का नाम रोशन के रही है, कुछ लोग पुरुषों को ही सर्वश्रेष्ठ मानते हैं/ कई परिवारों में यही शिक्षा दी जा रही है कि पुरुष घर की जिम्मेदारी उठता है, पुरुष घर का मुख्या होता है और स्त्री को हमेशा पुरुष के पीछे रहना चाहिए, उसकी हर बात माननी चाहिए / इसी कारणवश पुरुष कभी भी किसी भी मैदान में अपने आपको महिलाओं से हारता हुआ नहीं देख पाता और उसके दिल में बदले के भाव जल्दी आ जाते हैं...
महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों से निपटने के लिए कई कानून मोजूद हैं, लेकिन अपराध अभी भी खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं / इसका एक प्रमुख कारण कानून का ठीक तरह से पालन न हो पाना है l
भले ही सरकार ने देश भर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए, नए और सख्त कानून लागू करदिए हैं l परंतु इसके बारे में कई लोगों को जानकारी नहीं है l जिसकी वजह से वह अपराधियों के खिलाफ कानून की मदद नहीं लेते हैं l
आज भी समाज में कुछ ऐसे तत्व मोजूद हैं जो महिलाओं को हर बात को दोशी ठहराते हैं l उनके अनुसार महिलाओं पर आने वाले संकट उनके ही कारण हैं l कभी उन्हें महिलाओ के वस्त्रों से, कभी बोलने से, तो कभी उनके चलने में कमी नजर आती है| यहां तक कि कुछ लोगो के अनुसार तो औरतों का घर से बाहर निकलना ही गलत ही l ऐसी मानसिकता के बीच रह रही लड़की अपने आपको मजबूत कैसे समझ सकती है और कैसे लड़ सकती है ?
महिलाएं समाज में काफी हद तक पुरुषों पर निर्भर है देश में काफी महिलाएं आर्थिक रूप पर से स्वतंत्र नहीं है l आर्थिक तौर पर किसी और पर निर्भर होने के कारण महिलाओं में आत्म विश्वास और स्वतंत्रता की कमी है l इसी वजह से कई बार महिलाएं अपना आत्म सम्मान खोकर भी खामोश रह जाती हैं और सब कुछ बर्दाश्त करती हैं l
अक्सर अपराध होने से पहले महिलाओं को एक दस्तक मिलती है, एक मौक़ा उनके सामने होता है जहां वो सूझ बूझ और ताक़त का इस्तेमाल चाह कर भी नहीं कर पाती, क्योंकि समाज ने उन्हें अपने आपको कमज़ोर और बलहीन समझने पर मजबूर कर दिया है l इसी वजह से वो स्वयं अपनी मदद करने की जगह दूसरों को मदद के लिए पुकारती हैं l
पता चलता है कि अभी लड़कियों को लंबी लड़ाई लड़नी है | आजादी के 75 सालों में लड़कियों ने जॉब के से लेकर संसद में अपनी जगह बना ली है | मगर अभी भी कुछ ऐसे लोग, कुछ ऐसे वर्ग हैं, जो लड़कियों को हर जगह हर चीज में नीचे दिखाने की कोशिश करते हैं | अभी ऐसे लोगो की सोच बदलना बाकी है |