एक बार फिर हम हार गये। एक बर फिर हम देश की होनहार बेटी को बचा ना पाए । एक बार फिर हम शर्मसार हें।
मैं संक्षेप में आपका वर्णन करती हूँ।
आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में द्वितीय वर्ष की रेजिडेंट डॉक्टर (एमडी छात्रा) अपनी रात्रि ड्यूटी कर रही थी। वह आराम के लिए अस्पताल के सेमिनार हॉल में गई थी, लेकिन फिर कभी वापस नहीं आई। सुबह करीब 10 बजे उसके माता-पिता को सूचना दी गई कि लड़की ने आत्महत्या कर ली है. वे अस्पताल की ओर दौड़े. 3 घंटे तक इंतजार करने के बाद उन्हें अर्धनग्न शरीर मिलता है जिसपर कई चोटों के निशान होते हैं।
प्रारंभिक शव परीक्षण में दावा किया गया कि पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया गया और उसकी हत्या कर दी गई।
रिपोर्ट के अनुसार, "उसकी दोनों आंखों और मुंह से खून बह रहा था, चेहरे और नाखून पर चोटें थीं। पीड़िता के निजी अंगों से भी खून बह रहा था। उसके पेट, बाएं पैर...गर्दन, दाहिने हाथ, अंगूठी में भी चोटें थीं।" उंगली और... होंठ पर भी,
पूरे भारत में आवाज उठाई जा रही हें। पश्चिम बंगाल उच्च न्यायलय में कई सारी याचिका दायर की गई।
बुधवार 14 अगस्त 2024 को हाई कोर्ट ने पहली सुनवाई के दौरान सीबीआई जांच के आदेश दिए.
अभी कुछ 5 ही दिन हुए हें की सब लोग आवाज़ उठा रहे हे। देश भर के सभी मेडिकल कॉलेजेज में प्रदर्शन चल रहा है। सब न्याय की बात कर रहे हैं। लेकिन क्या अब न्याय मिलना काफी होगा?
क्या इस सबसे मृतक को कोई फायदा पहुंचेगा या उन माता पिता का जो नुकसान हुआ हे वो खत्म हो जाएगा?
ओर सबसे बढ़कर देश ने एक होनहार बेटी, एक ईमानदार डॉक्टर ओर चमकता भविष्य खोया हे वो वापस आ जाएगा?
आज से कुछ 12 साल पहले दिल्ली मै एक लड़की की साथ भी इसी तरह की अनहोनी हुई थी। उसका बुरी तरह से बलात्कार किया गया ओर उसे मौत के घाट उतार दिया। तब भी पूरा देश इकट्ठा हुआ, कैंडल मार्च निकली, धरने प्रदर्शन हुए ओर आरोपियों को सज़ा मिली। उसके बाद से आजतक काफी सरे मामले हमारे सामने आये है झा लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार होता है। कुछ लोगो को सज़ा मिल जाति है ओर कुछ बच निकलते हें?
देश की हर लड़की खतरे मे है...
ये मामला अज का या इस एक लड़की का नहीं है ये देश की हर उस लड़की का है जिसके इर्द गिर्द हर वक़्त उसकेइ जान ओर इज़्ज़त जाने का दर उसे घेरए रहता है।
यह मुद्दा हर उस लड़की का हे जो समाज के लिए बहुत कुछ करना चाहती हे लेकिन इस समाज मे मौजूद दरिंदे उसे अपने क़ाबिल भी नहीं छोड़ते।
लड़की रात मे घर से बहर ना निकले तो क्या वो दिन मे सुरक्षित है?
छोटे कपड़े ना पहने तो क्या पूरे कपड़े पहन ने पर उसकी इज़्ज़त पर कोई आंच नहीं अएगी?
बहर ना निकले तो क्या जनाब, घर मै वो बक्शी जाएगी?
आज अगर आवाज़ उठेगी तो बस एक सवाल करेगी,
"आखिर कब तक"
आखिर कब तक हम लड़कियां अपनी जान गँवाती रहेंगी न्याय पाने के लिए ? क्या एक डॉक्टर महिले जो अपनी ड्यूटी कर रही हे, अपनी भूक प्यास, नींद चैन सब भूलकर, निस्वार्थ भाव से सेवा मे लगी हे, उसे जीने का कोई हक़ नहीं? एक लड़की धर्म जाति लड़का लड़कि सरे भेदों को पीछे छोध् अपना कर्तव्य निभा रही हे, उसे बदले मे मे हम यह दे रहे हैँ ?
दोषी कोन है ?
अस्पताल, प्रबंधन, सुरक्षा समाज, या वो लोग जो अभी भी इस दायरे में हैं कि वो महिलाओं को अपनी कठपुतली समझते हैं। वे आज भी महिलाओं को अपने कम आने वाली उनके हिसाब से चलने के लिए बनाई गई वस्तु समझते हैं।
महिला ने अपना कर्तव्य निभाया है, समाज में अपनी जगह बनाई है, अब उसके अधिकारों की रक्षा करने की आपकी बारी है।