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दुनिया का काम क्या अधूरा था
जो मौसम ने भी साथ छोड़ दिया|
मेरी आहट भी न हुई थी,
उसने फिर भी मुझसे मुंह मोड़ लिया|
मिलने तूझसे आया था मैं,
बारिश बरसने लगी बादल से,
नहीं देती है मेरा साथ जिंदगी,
नही चहती तू मेरा मिलन उनसे|
मेरी हालत ऐसी न थी के
तुझे बर्दाश्त करता मैं और,
अब तू आ कर रुक भी जा
मेरे पास, ऐ मेरे दोस्त|
वो कहकर मुझसे चले गए
ना रखना तुम दोस्ती जिंदगी से,
बड़े बड़े सूरमाओं का हाथ छोड़ा इसने
क्यों करेगी यह वफा तुमसे|
परेशान हूं मैं खुद से ही,
मुझे और तंग न कर ऐ जिंदगी|
थक कर बिखर न जाऊं कहीं
मौत से थोड़ा तो डर ऐ जिंदगी|
आंसू भर आए आंखो में
मैं तुझ से हार गया हूं,
अपनों को भी खिलाफ किया तूने,
बस कर अब मैं मान गया हूं|