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‘वर्तमान समय में, दुनिया के रवैए को देखते हुए लगता है कि, अब दोस्ती को भी एग्रीमेंट की जरूरत आन पड़ी है। अब आपका सच्चा दोस्त कौन है कौन नहीं है आज भारत और रूस के बीच बने, स्थिती के घेरे से पता चल रहा है|’
सबसे पहले हम भारत रूस संबंध पे एक नजर डालते हैं, ये सभी जानते हैं कि 1971 के दशक से ही रूस भारत का एक अद्वितीय सहायक और साथी रहा है, एक शक्तिशाली हमराह रहता आया है, कई बार रूस ने भारत की ओर आने वाली कठिनाइयों को गुमराह किया है... हम ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भारत और रूस की दोस्ती की मिसालें देते नहीं थकती थी, फिर आज ऐसा क्या हुआ कि, एक हमराह ने अपने ही दोस्त रूपी आशियाने को गुमराह कर दिया।
रूस ने भारत के दुश्मन पाकिस्तान से हाथ मिलाके, भारत को एक चालीस हजार वोल्ट का झटका ही नहीं दिया, बल्कि एक ऐसा अंजाम दिया है, ऐसा सबक दिया है, एक ऐसा जख्म दिया है, जिसका घाव ना जाने कब तक नहीं भर सकता।
रूस ने ये साबित कर दिया कि, दोस्ती बिना एग्रीमेंट के, बिना निजी स्वार्थ के आज जमाने के लिए कोई एहमियत नहीं रखती है, अपना स्वार्थ नहीं है तो कुछ भी नहीं है।
रूस ने अपने व्यापार का मार्ग खोलने के लिए पाकिस्तान से हाथ मिलाकर, खुद का तो रास्ता साफ कर लिया लेकिन अपने मित्र की मित्रता का रास्ता बंद कर दिया।
आज भारत का दिल, रूस से क्या कह रहा है पढ़िए,
आज ये बनी कैसी परिस्थिति है अपने दोस्ताने की,
दोस्त सामने है, फिर भी उसे जरूरत है खुदको तुझे दिखाने की!
उसने ऐसा क्यों किया, आज भारत के मन में ऐसे कई सवाल जन्म ले चुके हैं और उफान मार रहे हैं।
मैं बात कर रहा हूं,वर्तमान भारत रूस संबंध की, मैं बात कर रहा हूं ,कैसे दशकों पुराने दोस्त ने, अपने दोस्त भारत के कलेजे को दहला दिया, क्या वफा निभाई और क्या सिला दिया,
वाह! रे नसीबा, तूने ये क्या गुल खिला दिया,
रूस ने पाकिस्तान से हाथ मिलाकर,
अपने दोस्त भारत को हिला दिया।
लोग, वो कहते हैं ना कि, 'सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ' आप समझ ही गए होंगे कि मैनें इस मुहावरे को यहां क्यों लिया है अगर नहीं समझे, तो मैं बता ही देता हूं। कि रसिया का चाइना से संबंध मिया बीवी जैसा है, रूस उसके पति की तरह है तो चीन रूस की पत्नी की तरह है, और चीन का तो हमेशा से जन्मजात भाई रहा है पाकिस्तान, लेकिन इनका मुंहबोला रिश्ता, रूस के इस फैसले से अब रिश्तेदारी में बदल चुका है और यह बात सर्व समाज विदित और ज्ञात है कि, एक रिश्तेदार के लिए दूसरा रिश्तेदार क्या-क्या कर सकता है किस हद से गुजर सकता है।
शायद मुझे यहां सौ शब्द कहने की जरूरत नहीं है, मैं जानता हूं मेरे भारतवासी बहुत ही बुद्धिजीवि हैं, मैनें गागर में सागर भर दिया है, बाकि आप समझ गए होंगे कि मैं क्या कहना चाहता हूं ।
चलिए अब आगे के सफर पर चलते हैं, सफर से मेरा तात्पर्य अपने मुद्दे से है।
आपने देखा है कि हमेशा से ही पकिस्तान भारत का विरोधी रहा है और अब रूस के साथ हाथ मिलाने से भी भारत के लिए सिरदर्द बन गया है क्योंकि रूस भारत के लिए एक दोस्त ही नहीं अपितु एक अच्छा विकल्प और साथी भी है।
पाकिस्तान को रूस का सपोर्ट मिल गया है तो भारत के व्यापार के साथ भारत और भारतीय सीमा पर भी खतरे की घंटी बजती प्रतीत हो रही है।
रूस का साथ पाने से पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को और बढ़ावा दिया जा सकता है क्योंकि पाकिस्तान विश्वास के मामले में जीरो नंबर पर आता है।
उसपे विश्वास नहीं किया जा सकता, कि उसका अगला कदम क्या हो सकता है ।
अब भारत के लिए महत्वपूर्ण क्या है, भारत क्या करे क्या - क्या कर सकता है ?
ये सवाल आज की वर्तमान स्थिति में हर किसी के मन में उठ रहे हैं...
मित्र के विमुख होने से भारत पर भविष्य के लिए बहुत बड़ा संकट मंडरा रहा है।
एक तरफ पाकिस्तान और आतंकवाद पहले से ही निहित था, अब दूसरी तरफ, रूस के इस फैसले से चीन भी भारत के, पहले से कही ज्यादा अनुपात में सिरदर्द हो सकता है
हम यहां पर भारत- रूस, चीन एवं पाकिस्तान के विषय में कुछ आधारों का वर्णन करते हैं आइए देखते हैं...
वो आधार क्या- क्या हैं... हम पाकिस्तान की बात करें तो पाकिस्तान ने हमसे कई बार शिकस्त खाई है लेकिन फिर भी अपनी नापाक हरकतों से कभी बाज़ नहीं आता, हरकत पे हरकत करते रहता है
वो, लोग कहते हैं ना कि कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती वो टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है पाकिस्तान भी ऐसा ही है और संयोग तो देखिए,उसका भौगोलिक नक्शा भी कुत्ते की तरह का है... इसलिए मैंने इसकी तुलना कुत्ते की दुम से की है।
रूस का यह फैसला एक पैमाने पर और भारत के लिए अभिशाप सिद्ध हो सकता है - रूस भारत का बहुत पुराना साथी रहा है ये बात सब जानते हैं, इसके साथ ही अंतर्रस्तीय स्तर पर भी कई अहम फैसलों में भारत समर्थक भी है और रहा है... जब पूरी दुनियां भारत के खिलाफ होती थी तो भी रूस भारत का समर्थक बना रहा है, ऐसा साथी , जिसके विमुख होने पर किसे दुःख नहीं होगा , खैर छोड़िए आगे चलते हैं.... तो मैं कह रहा था कि un के जो छः अंग हैं उनमें से एक , संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC - यूनाइटेड nations सिक्यॉरिटी काउंसिल है जिसका भारत अस्थाई सदस्य है।
सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की संक्षिप्त जानकारी पर एक नजर डाल लेते हैं तो आइए जानते हैं यूएनएससी क्या है एवं इसकी स्थापना, मुख्यालय और कार्य क्या हैं?
'यूएनएससी को दुनिया का पुलिसमेन भी कहा जाता है!'
यह संयुक्त राष्ट्र संघ के छह अंगो में से एक अंग है जो विश्व के सभी देशों की सुरक्षा और अंतरराष्टीय शांति को सुनिश्चित करता है, इसकी स्थापना 24अक्टूबर 1945 को हुई थी जिसका मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में स्थित है।
हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक संक्षिप्त जानकारी देखी अब आगे बढ़ते हैं...
जब इसकी बैठक होती है भारत उसमें जाता है और किसी मुद्दे पर अपना पक्ष रखता है तो पाकिस्तान सबसे ज्यादा भारत के खिलाफ अपना मत प्रकट करता है और चीन भी अपने वीटो पॉवर का यूज करके भारत के खिलाफ पक्ष रखता है.... अब बात आती है रूस की तो अभी तक रूस भारत को हर बार सपोर्ट करता आ रहा था और भारत के पक्ष में वोट करने के साथ ही नहीं अपितु भारत को वीटो पॉवर दिलाने के पक्ष में चल रहा था लेकिन अब रूस के इस फैसले से इस पहलू पर भी असर पड़ सकता है क्योंकि पाकिस्तान और चीन अब सीधे तौर पर रूस को मना मजबूर कर सकते हैं भारत का साथ देने से रोकने के लिए आज तक इस परिषद में, आतंकवादियों की सूची में, सबसे ज्यादा नाम पाकिस्तान के नागरिकों के दर्ज हैं लगभग दो हजार (2000) से ज्यादा।
खास कर आतंकवादी गतिविधि मामलों में पाकिस्तान दशकों से अग्रणी देश रहा है और आज भी है वह आतंकवाद को बढ़ावा ही नहीं देता है बल्कि आतंकवादी पालता भी है।
आशा करता हु कि आपको मेरा आर्टिकल अच्छा लगेगा|
जिन्दगी रही तो फिर मिलेंगे|