Image by John Hain from Pixabay

कहते हैं, नर हो न निराश करो मन को,
तुम भी जलाओ आशा के दीपक को,
जिंदगी के भुलाकर सारे ग़म को,
सजा लो प्यारी सी मुस्कुराहट को।

 जीवन की परेशानियों से लड़ना सीखे,
चलो, फिर से मुस्कुराना सीखे।

जो खोया, वो सबक बना,
जो मिला, वो तसल्ली बना।
अब खुद से प्यार करना सीखें,
चलो, फिर से मुस्कुराना सीखे।

सुख- दुख का आना - जाना है जैसे,
शरदी गर्मी की ऋतु समान,
इनसे निकलकर, निखरना सीखे,
चलो, फिर से मुस्कुराना सीखे।

चलो, ग़मों को पीछे छोड़,
खुशियों से नाता फिर जोड़े,
हर लम्हे में उम्मीद सजाए,
चलो, फिर से मुस्कुराना सीखे।

.    .    .

Discus