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भारतवर्ष के इतिहास की वो महागाथा
जिसमें कथा अनेक पर सार एक हैं
द्वापर युग हो या हो कलियुग
सिखाती सबको धर्म का मार्ग है
ये गाथा है उन वीर योद्धाओं की
जो अपने आप में श्रेष्ठ थे
ये गाथा है देवव्रत के उस पितृ प्रेम की,
जिसने उनको बनाया भीष्म था।
ये गाथा है द्रोणाचार्य की उस शिक्षा की,
जिसने अर्जुन को बनाया सर्वश्रेष्ठ धर्नुधर था।
ये गाथा है उस दानवीर योद्धा कर्ण की,
जिसमें दानवीर्ता की पराकाष्ठा थी।
ये गाथा है शकुनि के उस प्रतिशोध की,
जिसने लाया हस्तिनापुर का विनाश था।
ये गाथा है दुर्योधन के उस अहंकार की,
जिससे हस्तिनापुर के अंत का हुआ आरंभ था।
ये गाथा है श्रीकृष्ण के उस गीता सार की,
जिसमें समाया विश्व का संपूर्ण ज्ञान था।
ये गाथा है द्रोपदी के उस अपमान की,
जिससे हुआ महाभारत का हुआ युद्ध था।
धर्म -अधर्म, सत्य, असत्य,
स्वार्थ - परमार्थ, शक्ति-भक्ति
समाया इसमें सब कुछ।
जीवन का यही सार, आधार , विस्तार,
ग्रंथो में माना जाता है सबसे महान,
समझा जाता है इसे पाँचवे वेद समान ।
राजा भरत के उन महान वंशजो की इस गाथा को,
कहा जाता इसिलिए महाभारत।
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