Image by Marie Bertin from Pixabay

आज की दुनिया है बहुत आगे बढ़ी,
मनुष्य ने आविष्कार की नई राहें खोली,
लेकिन क्या हमने प्रकृति से रिश्ता खो दिया,
या अपनी आत्मा को कहीं भूल दिया?

प्रकृति है जीवन का आधार,
हवा, पानी, पेड़, ये सब हैं हमारे साथ,
इनकी महिमा समझें, इनके बिना क्या जीवन?
यह प्रकृति है, जो हमें देती है शांति का विश्वास।

“प्रकृति ही ब्रह्मा है, प्रकृति ही शक्ति है,”
इसमें बसी है हमारी आंतरिक छवि,
जब हम इसे नष्ट करते हैं, खोते हैं हम अपनी आत्मा,
हमारे अस्तित्व का खतरा बढ़ता जाता है हर दिन।

तेलंगाना में जंगलों का कटना,
आध्यात्मिक शांति का खोना,
वृक्षों के बिना जीवन अधूरा है,
हमारे संतुलन की नींव, यही है।

हम देखते हैं प्रदूषण, जलवायु का परिवर्तन,
लेकिन क्या हम हैं तैयार इस संकट का सामना करने के लिए?
प्रकृति की रक्षा हमारी जिम्मेदारी है,
यह हमारी आत्मा का भी संरक्षण है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इसे समझें,
प्रकृति में बसी है शांति, बसा है सत्य,
हम जितना इसे नष्ट करेंगे, खोते जाएंगे हम,
और हमारी आत्मा की शांति भी होगी हानि।

इसलिए, एक कदम बढ़ाएं हम,
वृक्षारोपण, जल संरक्षण की दिशा में बढ़ें हम,
प्राकृतिक संसाधनों की कद्र करें,
ताकि आने वाली पीढ़ियों को यह जीवन मिल सके।

प्रकृति का संरक्षण, आत्मा का संरक्षण है,
यह सत्य है, यह प्रेम है, यही हमारा मार्ग है,
यदि हम आज नहीं जागे, तो कल बहुत देर हो सकती है,
यह हमारी पृथ्वी है, और इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है।

.    .    .

Discus