बिटिया ने भेजी है सुगंधित कलम से लिख एक चिट्ठी
महक रही है वह चिट्ठी जैसे हो मेरे गांव की मिट्टी
वैसे तो मेरी नन्ही परी सिर्फ 8 साल की है
हाल सभी का बताती है चिट्ठी में लिखी उसकी बातें मीठी खट्टी
बिटिया ने लिखी है फिर से एक चिट्ठी, फिर से एक चिट्ठी।
छोड़ आया था उसे माँ की गोद में रोता हुआ
घर से आए हुए पत्रों में ही देखा है उसे बडा़ होता हुआ
जानता हूं पिता की गैर मौजूदगी उसे बहुत ही खलती है
इसलिए हफ्ते में कई कई वह चिट्ठी मुझे लिखती है।
लिखती है अपनी गुड़िया का ब्याह उसने है रचा दिया
अपनी प्रिय सखी के गुड्डे संग घर उसका बसा दिया
गौना करना है ,घर कब आओगे बाबा? चिट्ठी मे प्रश्न यह बार-बार है
कैसे बताऊं उसे की नहीं आ सकता जब तक सीमा पर तनाव है।
ख्यालों में रोज उससे बातें करता, उसकी चिट्ठी पढ़
कभी हंसता तो कभी रोता हूं
सैनिक हूँ तो क्या हुआ?
फौलादी में पिता का मासूम दिल भी रखता हूँ। जी हाँ एक पिता का मासूम दिल भी रखता हूँ।