Singh, File Photo: Author Kavita Singh

भाभी मुझे आपकी ये साड़ी बहुत प्यारी लग रही है.. मैं ले लूं ? आप दूसरी मंगवा लेना... एक प्यारी सी ननद अपनी भाभी से बोली!

" मैं आपको दे देती, पर ये आपके भैया बहुत शौक से मुझे ला कर दिए हैं. भाभी बोलीं!

" कोई बात नहीं आप भैया को बोल कर दूसरी मंगवा लीजिएगा पर मुझे तो ये चाहिए ननद हंस

कर बोली..फिर भाभी भी साड़ी उसे सौंप दी,पर अंदर ही अंदर उदास थी की हमेशा यही होता है, इनकी शादी हो गई है फिर भी हमारे घर में इन्हीं का सिक्का चलता है...जब भी आतीं हैं मेरे सास - ससुर भी इन्हीं के भाषा बोलने लगते हैं, भाभी श्री मन ही मन सोच रहीं होती हैं!

एक दिन ननद रानी के ससुराल जाने का समय आ जाता है.... ननद हांथ में वही साड़ी पकड़ी हुई भाभी के पास आती है और उन्हें बापस करते हुए बोली..

" भाभी मैं तो बस आपसे मजाक कर रही थी, अब इतना हक तो है ना मेरा की मजाक कर सकूं? आपलोगों के प्यार ही मेरे लिए अनमोल है.... फिर दोनों गले मिलते हैं ननद रानी अपनी ससुराल चली जाती हैं.....

जब ननद ससुराल गई तो जाते के साथ ही सासू मां दस काम बता दी...

"बहू आ गई? दस दिनों से मायके जाकर बैठी थी यहां पर बहुत सारा काम पड़ा हुआ है करने के लिए... मेरा क्या बस दो रोटी बना कर खा लेती थी बाकी सारे काम छोड़ रखी थी मैं...

" कोई बात नहीं मां जी "सब हो जाएगा आप चिंता मत कीजिए मैं हूं ना.. बोल कर अंदर चली गई थी, पर मन ही मन सोच रही थी कितना फर्क होता है ना अपने मायके और ससुराल में यहां आते ही जिम्मेदारियों पहाड़ सर पे रख दिया जाता है...और वहां आज भी बचपन की यादेंबसी हुई होती है!


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