विज्ञापनों की दुनिया में अक्सर ब्रांड अपनी मार्केटिंग को प्रभावशाली बनाने के लिए चौंकाने वाले संवादों का सहारा लेते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह नैतिक रूप से सही है? हाल ही में India Gate Basmati Rice के एक विज्ञापन में अमिताभ बच्चन ने कहा, "हाथ में जो चावल है, उसे फेंक दो और हमारे ब्रांड का चावल अपनाओ।" यह संवाद सुनने में भले ही एक साधारण मार्केटिंग स्ट्रेटेजी लगे, लेकिन इसके पीछे छिपा संदेश कई लोगों के लिए आपत्तिजनक हो सकता है।
भारत में भोजन और अन्न को देवतुल्य माना जाता है, और उसे फेंकना अपशकुन समझा जाता है। ऐसे में जब एक प्रतिष्ठित अभिनेता किसी विज्ञापन में ऐसा संवाद बोलते हैं, तो यह कई सवाल खड़े करता है।
भारतीय परंपरा में अन्न का विशेष स्थान है। हमारे शास्त्रों और संस्कारों में सिखाया गया है कि भोजन का अपमान नहीं करना चाहिए। गांवों में लोग अब भी ज़मीन पर गिरे अनाज को उठाकर माथे से लगाते हैं, ताकि अन्न का सम्मान बना रहे। ऐसे में एक बड़े अभिनेता द्वारा "चावल फेंकने" की बात कहना संस्कृति के विपरीत और अनादरपूर्ण प्रतीत होता है।
यह विज्ञापन इस मानसिकता को जन्म देता है कि सिर्फ ब्रांडेड या महंगे उत्पाद ही अच्छे होते हैं, और बाकी चीज़ें बेकार हैं। यह सोच समाज में खाद्य संसाधनों की बर्बादी को बढ़ावा दे सकती है। बच्चों और युवाओं पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि वे इस संदेश को गलत तरीके से ले सकते हैं।
भारत में अभी भी लाखों लोग भूख से जूझ रहे हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। ऐसे में अगर विज्ञापनों में अनाज को फेंकने की बात की जाती है, तो यह असंवेदनशीलता को दर्शाता है। हमें ऐसे विज्ञापनों की बजाय खाद्य बचत और सतत विकास को बढ़ावा देने वाले संदेशों पर ध्यान देना चाहिए।
अमिताभ बच्चन जैसे बड़े अभिनेता सिर्फ एक सेलिब्रिटी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी कही हुई बातें लोगों पर गहरा असर डालती हैं। ऐसे में उन्हें विज्ञापन स्वीकार करने से पहले यह देखना चाहिए कि उनसे किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे या कोई गलत संदेश न जाए।
👉 क्या अमिताभ बच्चन को इस विज्ञापन को लेकर सफाई देनी चाहिए?
अगर इस विज्ञापन को लेकर विवाद बढ़ता है, तो उन्हें इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए और विज्ञापन एजेंसी से इस संवाद को बदलने की मांग करनी चाहिए।
👉 कैसे वे इसे सुधार सकते हैं?
• एक नया संदेश देकर यह स्पष्ट कर सकते हैं कि वह अनाज का अपमान नहीं कर रहे थे।
• खाद्य बचत और जागरूकता को लेकर एक सकारात्मक अभियान चला सकते हैं।
• विज्ञापन ब्रांड्स को इस तरह की संवेदनशील बातों का ध्यान रखने की सलाह दे सकते हैं।
किसी भी विज्ञापन को बनाने से पहले ब्रांड्स को सोचना चाहिए कि उनका संदेश समाज पर कैसा प्रभाव डाल सकता है। मार्केटिंग का मतलब यह नहीं है कि किसी अन्य उत्पाद या संसाधन का अपमान किया जाए।
👉 ब्रांड्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि:
✔ वे अपने उत्पाद को प्रमोट करते समय सकारात्मक भाषा का इस्तेमाल करें।
✔ अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों को बर्बाद करने या कमतर दिखाने की मानसिकता न फैलाएं।
✔ संस्कृति और मूल्यों का सम्मान करें, ताकि ग्राहकों का भरोसा बना रहे।
यह समय है कि ब्रांड्स और विज्ञापन एजेंसियां अपनी जिम्मेदारी समझें और अधिक संवेदनशील बनें। अमिताभ बच्चन जैसे बड़े अभिनेता को भी यह देखना चाहिए कि वे जो संदेश दे रहे हैं, वह नैतिक रूप से सही हो और समाज के लिए प्रेरणादायक हो।
क्या आपको भी लगता है कि इस तरह के विज्ञापनों को लेकर ब्रांड्स को अधिक सतर्क रहना चाहिए? अपनी राय कमेंट में ज़रूर साझा करें!