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गांव में एक मान्यता थी कि इस कब्रिस्तान में रात के समय जाना खतरे से खाली नहीं है। लोग कहते थे कि जो भी रात में वहां गया, वह कभी वापस नहीं लौटा। बुजुर्गों का कहना था कि इस जगह पर बहुत पुरानी और भयानक आत्माएं रहती हैं, जो लोगों की जान ले लेती हैं या उन्हें पागल बना देती हैं।
इस कब्रिस्तान की कहानी तब शुरू हुई जब गांव के एक व्यक्ति ने वहां एक काली परछाई देखी। यह व्यक्ति हर रोज़ शाम को अपने खेत से घर लौटता था। एक दिन, जब वह अपने घर लौट रहा था, तो उसने देखा कि कब्रिस्तान के पास एक अजीब सी आवाज आ रही है। पहले तो उसने इसे नज़रअंदाज कर दिया, लेकिन जब उसने फिर से वही आवाज़ सुनी, तो वह चौंक गया।
गांव का वह व्यक्ति हिम्मत जुटाकर कब्रिस्तान के पास गया और देखा कि वहाँ कुछ हलचल हो रही है। उसने ध्यान से देखा, तो उसे एक काली परछाई दिखाई दी जो कब्रों के बीच चल रही थी। जैसे ही वह उस परछाई के करीब गया, उसे अचानक एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी में सिहरन दौड़ गई। वह भागता हुआ घर की तरफ लौट आया और किसी से कुछ कहे बिना सीधा अपने कमरे में चला गया।
अगले दिन गांव में यह बात फैल गई कि उस व्यक्ति ने कब्रिस्तान में कुछ अजीब देखा था। लोग उसके घर पहुंचे और उससे घटना के बारे में पूछा। वह व्यक्ति डरा हुआ था और किसी से बात नहीं करना चाहता था। कुछ दिन बाद, उसकी मानसिक हालत बिगड़ने लगी। वह हर वक्त बड़बड़ाता रहता था कि "वो आ रही है... वो मुझे लेने आ रही है।" कुछ ही दिनों में उसकी मौत हो गई। गांव वालों ने इसे आत्माओं का प्रकोप माना और कब्रिस्तान के पास जाने से पूरी तरह मना कर दिया।
कुछ सालों बाद, गांव के कुछ युवा लड़कों ने इस घटना को अंधविश्वास मानकर कब्रिस्तान में जाने का फैसला किया। उन्होंने सोचा कि वे वहां जाकर इस बात की सच्चाई का पता लगाएंगे कि वहां वाकई कोई भूत-प्रेत है या नहीं। चारों दोस्त रात के समय वहां पहुंचे और जैसे ही वे कब्रिस्तान के अंदर गए, उन्होंने महसूस किया कि वातावरण अचानक बहुत भारी हो गया है।
जैसे ही उन्होंने आगे बढ़ना शुरू किया, उन्हें अचानक एक बहुत ही विचित्र सी आवाज़ सुनाई दी, जैसे कोई धीरे-धीरे रो रहा हो। वे चारों डर गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अचानक उनमें से एक ने देखा कि एक सफेद साड़ी में लिपटी एक महिला दूर खड़ी है। उसकी आंखें लाल थीं और उसके चेहरे पर एक खौफनाक मुस्कान थी। वह महिला धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ने लगी।
डर के मारे चारों दोस्त भागने लगे, लेकिन उनमें से एक की तबियत अचानक खराब हो गई। वह ज़मीन पर गिर पड़ा और उसके शरीर में अजीब सी ऐंठन होने लगी। बाकी दोस्तों ने उसे किसी तरह से खींचकर वहां से बाहर निकाला, लेकिन वह बेहोश हो चुका था। जब उसे गांव लाया गया, तो गांव के बुजुर्गों ने बताया कि उस पर किसी आत्मा का साया है। अगले कुछ दिनों में उसकी हालत और बिगड़ गई, और कुछ ही दिनों बाद उसकी भी मौत हो गई।
इन घटनाओं के बाद गाँव के लोग बहुत ज्यादा डर गए थे। उन्होंने उस कब्रिस्तान को पूरी तरह से बंद करवा दिया और उसके चारों ओर दीवार खड़ी कर दी। कोई भी उस जगह के पास जाने की हिम्मत नहीं करता था। गांव के बुजुर्गों का मानना था कि वहाँ पर दफनाए गए लोग अपनी मौत के बाद शांति से नहीं रह पाए थे, और उनकी आत्माएं अब वहाँ भटक रही हैं।
कुछ सालों बाद, एक प्रसिद्ध तांत्रिक गांव में आया। उसे गाँव वालों ने सारी घटनाएं बताईं। तांत्रिक ने कब्रिस्तान का मुआयना किया और पाया कि वहाँ कई आत्माएं वाकई में बंधी हुई थीं। उसने बताया कि यह कब्रिस्तान पहले एक युद्धक्षेत्र था, जहां कई निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई थी। उन्हीं आत्माओं की शांति भंग होने के कारण यह स्थान अशांत हो गया था।
तांत्रिक ने कई दिनों तक वहां साधना की और अंततः उन आत्माओं को मुक्ति दिलाई। इसके बाद से गाँव में किसी ने कब्रिस्तान से जुड़ी कोई अजीब घटना नहीं देखी या सुनी। हालांकि, गांव के लोग अब भी उस जगह के पास जाने से कतराते हैं, और वह कब्रिस्तान अब भी वीरान पड़ा है।
यह कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि उन अनगिनत जगहों की है, जहां लोगों का मानना है कि आत्माएं भटकती हैं। यह कहानी बताती है कि हमें उन स्थानों का आदर और सम्मान करना चाहिए, जहां किसी की मृत्यु हुई है, क्योंकि अनजाने में हम किसी बुरी ताकत को जाग्रत कर सकते हैं।