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आज मैं आपको एक छोटी सी कहानी जिंदगी के सुनाती हूं |

पैदा होने के कुछ साल बाद और अगर आप बेटे हो तो शायद और जल्दी सुनने को मिलता है | मेरा बेटा पड़ेगा -लिखेगा , बड़ा आदमी बनेगा ढेर सारे पैसे कमाए गा | हम आज तक कोई काम बिना मतलब के नहीं किए हैं और ना ही करते हैं | खाना खाते हैं तो पेट भरने के लिए , कपड़ा पहनते हैं तो शरीर ढकने के लिए , पानी पीते हैं तो प्यास बुझाने के लिए , यहां तक कि पढ़ते हैं तो पैसा कमाने के लिए शिक्षा प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि पैसा कमाने के लिए ,

क्या आज तक कोई काम हम बिना मतलब के किए हैं ?

मैं आपसे सवाल नहीं कर रही हूं , बल्कि यह सवाल आपको दे रही हूं एक बार बस एक बार यह सवाल खुद से करके देखें | पूरा बचपन पढ़ाई में हां वो तो करना ही था | पहले स्कूल ,स्कूल खत्म होने के बाद कॉलेज , कॉलेज खत्म होने के बाद कोई अच्छी सी डिग्री लेकर, नौकरी ढूंढना नौकरी मिलने के कुछ महीने बाद ही घरवाले शादी के लिए हॉट मचा देते हैं | फिर कोई अच्छा सा लड़का है लड़की देख कर शादी कर दी जाती है | फिर आगे क्या एक नई जिंदगी की शुरुआत होती है |

फिर चल पर एक नई जिम्मेदारी बढ़ती है, फिर बच्चे उनको पढ़ाना लिखाना उनका खाना पीना उसका खर्चा उठाना उसके लिए पैसे कमाना | हमारा शेड्यूल हो जाता है , सुबह उठा फ्रेश हुआ नाश्ता किया फिर काम पर निकल गए काम पर जाने का समय सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 का होता है लेकिन हम 8:00 बजे तक क्यों उसके अधिक पैसे जो मिलेंगे | और घर कितने बजे पहुंच जाते हैं हम 8:00 बजे अब हम उसकी जगह 10:00 बजे घर पहुंचते हैं घर पहुंचते ,पहुंचते, पहुंचते घर में सब कोई सो चुका होता है |

घर पहुंच कर फ्रेश होकर खाना गैस में गर्म करके खाकर सो गए , फिर दूसरे दिन वही दिनचर्या, और किसी दिन अगर छुट्टी होती है तो वह दिन हम घर वालों के साथ ना बिताकर बल्कि उस दिन अलग से काम करते हैं क्यों उसके तुमने पैसे जो मिलने हैं |वाह ! क्या बात है , हमें सिर्फ काम करना है और कुछ नहीं |

क्या हम यह भूल गए हैं कि हमारी एक फैमिली भी है ?

बच्चा भी है जो हर रोज समय देख कर दरवाजे के सामने बैठकर हमारा इंतजार करता है , कि हम अब पहुंचेंगे लेकिन आते आते हो सो जाता है और जगने से पहले हम सुबह निकल जाते हैं |

हम यह बात क्यों भूल जाते हैं कि हमारा एक परिवार जो हमारा हर रोज खाने की टेबल पर इंतजार करता है कि शायद आज मैं घर जल्दी पहुंच जाऊंगा और हम सब लोग खाना साथ में खाएंगे | फिर तब तक मैं हमारा फोन आता है कि आने में देर होगी |एक बार सोच कर देखिए उस समय उनके दिल पर क्या बीती होगी | इन सबके अलावा बुजुर्ग मां- पापा है जो हमें तिनका तिनका जोड़ कर पढ़ाया लिखाया अपने पांव पर खड़े होकर हम कमाने के काबिल बनाया | और आज हम जो भी 100% में 70 उनका हाथ है | हर परिवार - त्यौहार इंतजार करते हैं कि आज हमारा बच्चा घर आएगा |

बहुत सारे अपने हमारी राह देख रहे हैं | किसी को भी ज्यादा राह दिखाना अच्छी बात नहीं है कहीं ऐसा ना हो हम यहां कमाते रह जाए और वहां कुछ अनहोनी हो जाए जो नहीं होनी चाहिए |

यह सब हो गए जिंदगी की साइकिल है | लेकिन क्या हमें जीने का कोई हक नहीं | बचपन पढ़ाई मैं और बुढ़ापा तक जिम्मेदारी उठा कर | जिंदगी से एक छोटा सा हिस्सा हम अपने लिए नहीं निकाल सकते हैं | अपने लिए सिर्फ और सिर्फ अपने लिए बिना किसी स्वार्थ बिना किसी मतलब के क्या हम कुछ पल बिना किसी मतलब के नहीं निकाल सकते | बहुत जान लिया दूसरों को अब अपने आप को जानने की बारी है | अपने आप को ढूंढने की जरूरत है, जो कहीं गुम हो गया है ! दूसरे से नहीं अब अपने आप से प्यार करने की बारी है, कुछ पल अपने आप के साथ बिताने की बारी है |

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