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तुझे आदत नही बताने की ना सही
मुझे तो है
की पूछूं तेरा हाल
तू दरवाजा खोले ना खोले
मैं आऊंगा
एक मर्तबा खटकटाऊंगा
देखूंगा तेरे खिले हुए गाल
और घुंगरालू बाल
तुझे आदत नही लोगो के साथ की
मै तेरी राह देख रहा तुझे मिलने की
कहानी सुनाऊं मर्तबा रातो की
या तेरी मुस्कुराहट मै खो जाऊं
और गुफ्तगू करू जज़्बात की
डूब जाऊं तेरी झील सी आंखों मैं तेरी
और तस्वीर उतारू उस हालत की
तस्साबुर मैं जिया है जिन हसीन लम्हों को
टूट ना जाए एक पल मैं
बस फिक्र है इसी बात की ।। 

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