Photo by Danie Franco on Unsplash

वो लड़की जो पढ़ने के लिए घर को छोड़कर आई थी,
जाते वक्त उसके घरवालों ने उसके लिए चिंता भी जताई थी,
उसने बड़ी मुश्किल से घरवालों को समझाया था ,
अब वो बड़ी हो चुकी है सबको ये बताया था,
पहले समाज ने उसे तोड़ा फिर इन दरिंदों ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा,
चीखती रही वो मगर किसी ने उसे नहीं बचाया ,
क्या हुआ उस वक्त उसके साथ उसने सबको ये बताया,
ये सब होनें के बाद भी सबने उसकी ही गलती बताई थी,
ये तो होना ही था छोटे कपड़े पहन कर जो आई थी,
कहते हैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,
मगर औरतों की इज्जत करना कोई इस समाज को भी तो सिखाओ,
सबने बेटियों को अमनोल बताया,
मगर फिर भी असम में 14 , मध्य प्रदेश में 19 , जोधपुर में 15, जालंधर में 21, हिमाचल में 39 और कलकत्ता में 23 बर्षीय औरतों को उन दरिंदों ने नोच खाया,
सबने उनके कपड़ों को छोटा बोला,
मगर इन दरिंदों ने 3 साल की बच्ची को भी कहां छोड़ा,
उस बच्ची के लिए वो वक्त सपनों भरा पल रहा था,
मगर किसी को क्या पता था कि उस दरिंदे के दिमाग में क्या चल रहा था,
इनकी तरह ही न जाने कितनी लड़कियां घर छोड़कर पढ़ने आईं थी,
उनके साथ भी इन दरिंदों ने यही दरिंदगी दिखाई थी,
इन दरिंदों की वजह से न जाने कितनी ही लड़कियों के सपने टूट जाते हैं,
और आखिर में फिर भी कुछ दरिंदे यूंही छूट जाते हैं

.    .    .

Discus