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21 वीं सदीं की एक ख़ुशनुमा लड़की जो कि अपनी ही दुनियॉं में खुश रहती थी, ना किसी से लड़ाई झगड़ा और ना ही किसी से कोई लेना-देना। सपना ने कभी किसी खिलौने या किसी भी चीज की जिद्द ना की, क्योंकि उसकी जिद्द थी तो बस पढ़ाई को लेकर।
वो एक मध्यम वर्गीय परिवार से थी जहॉं अक्सर पैसो को लेकर दिक्कत हो जाती थी, इसलिए उसने कई बुरे हालातों का सामना किया था। और वो चाहती थी कि पढ़-लिखकर वो अपना करियर बना पाएं, साथ ही अपने घरवालों को आर्थिक रूप से सहयोग कर पांए।
सपना खूब मन लगाकर पढ़ाई किया करती थी और वो एक मेहनती लड़की थी। उसके सपनों के सफर में ही उसे एक हमसफर भी मिल गया था, जिससे सपना बेइंतहा प्यार करती थी। और सपना ने फैसला ले लिया था कि वो शादी करेंगी तो अपने प्यार से ही, वरना सारी उम्र कुँवारी ही रह जायेगी।
जब सपना की पढ़ाई पूरी हो गई तो, घरवालों ने बाहर जाकर काम करने पर पाबंदी लगा दी। सपना ने जिद्द की तो, घरवालों ने कह दिया जमाना खराब है और ऑफिस में लड़को के साथ उठना-बैठना, ऑफिस से देर रात घर को आना, ये सब देखकर रिश्तेदार और क्या कहेंगे हमसे?
सपना ने फिर घर से ऑनलाइन ही काम करना शुरू किया और वो पैसे भी कमाने लगी थी। जिससे वो प्रेम करती थी, हालातों के कारण वो अपने प्रेम से बिछड गई और उसका कोई अता-पता भी नहीं था सपना के पास।
इसी बीच उसके लिए एक अमीर खराने से रिश्ता आया और लड़का अच्छे परिवार से है कहकर घरवालों ने सपना का रिश्ता तय कर दिया। सपना ने शादी से मना किया तो, मॉं ने ताना कस दिया कि कब तक यूहीं हमारी छाती पर मूंग दलेगी, आज नहीं तो कल शादी तो करनी होगी।
सपना ने मजबूरन अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने प्रेम को दिल में समेटे ही घरवालों की पसंद को अपनाया। जिसे वो अपना पति दिल से मान भी नहीं पा रही थी, उसके घर में वो पत्नी होने के सारे फर्ज निभाने लगी।
शुरू में तो पति ने खुली छूट दे दी, पर चार दिन बाद उसके पति का असली रूप सामने आया। कहने के लिए तो वो अच्छे खराने से था, पर एक नम्बर का अय्याश और अवारा था।
सपना को जब उसकी करतूतों के बारे में पता चला तो, पति ने उसे ये कहकर धमकाया कि अगर तुमने मेरी सच्चाई किसी को भी बताई तो, मैं तुमपर चरित्रहीन होने का आरोप लगा दूँगा और फिर घर से निकाल दूँगा। उसके बाद तुम्हारे मॉं-बाप पर क्या गुजरेगी और ये समाज जो ताने दूंगा क्या वो सहन कर पाएंगे, अच्छे से सोचकर ही अपना मुंह खोलना।
अपने माता-पिता के बारे में विचारकर सपना ने अपना मुंह बन्द रखा। कुछ समय बाद जब उसने गर्भधारण किया तो, पति ने बच्चा नहीं चाहिए कहकर गिरवा दिया। ऐसा सिर्फ एक बार नहीं, दूसरी और तीसरी बार भी हुआ।
पर चौंथी बार जब वो मॉं बनने वाली थी तो, पति को लम्बे समय के लिए किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। और इसी दौरान ने सपना ने दो जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया। पर जब पति के लौटने की खबर मिली तो, सपना ये सोचकर सहम गई कि कई पति उसकी जुड़वा बच्चियों को मार ना दें।
सपना के मन में अनेकों ख्याल उथल-पुथल मचाने लगे और वो अपने-आप को देखकर कहने लगी कि कई मेरी बेटियों को भी आगे जाकर समाज और सब के बारे में सोचकर, अपने सपनो की बलि चढ़ाने ना पड़े। अगर इन्हें भी एक लड़की होने पर, इस तरह की पाबंदियों में बंधकर घूट-घूटकर जीना पड़े तो, फिर क्या मुझे इन्हें बचाना चाहिए?
ये सब सोचकर उसने निश्चय लिया कि वो अपनी दोंनो बच्चियों के साथ आग में कूदकर अपनी जान दें देगी। पर जब उसकी मासूम सी बच्चियों के रोने की करूण आवाज आई तो, वो ऐसा कर ना पाई।
पति घर पहुंच गया था और वो सबकुछ चुपचाप छिपकर देख रहा था। रात में मौका मिलते ही, पति ने ही एक रूम में आग लगा दी और बच्चियों को आग की भेंट कर दिया। सपना पर नीन्द की दवाई का असर था, इसलिए वो कुछ कर ना पाई।
अगली सुबह जब सपना को सबकुछ पता चला, उसने पुलिस में शिकायत करने का निर्णय लिया, ताकि वो अपनी बेटियों को न्याय दिला पाएं। पर पति ने हाथ मरोड़कर धमकाते हुए कहा कि मैं भी कह दूँगा तुम बच्चियों की दुश्मन थी और तुम्हें कोई बच्चा नहीं चाहिए था, इसलिए तुमने पहले भी तीन बार बच्चा गिराया।
सपना के पास अपनी बेगुनाह का कोई सबूत ना था और वो शिकायत करती भी तो, पति के खिलाफ सबूत कहां से लाती?
जब सपना के माता पिता उससे मिलने आए, तब मॉं ने कुछ शोक जताते हुए सपना को दिलासा दिया। सपना ने मौका पाकर मॉं को पति की सच्चाई बताई तो, मॉं ने समाज के और बदनामी के ड़र से सपना को चुप रहने को कहा।
मॉं का कहना था कि बच्चिया तो अब नहीं रही और दामाद जी इतने अमीर खराने के है। अगर हम केस भी करेंगे तो, वो पैसे देकर बच जायेगे और बदनामी होगी तो सिर्फ हमारी ही। हमारा ही समाज में रहना मुश्किल हो जायेगा और आता-जाता हर कोई व्यक्ति ताने मार-मारकर ही हमें मार देंगा। बस तेरे माता-पिता की कुछ ही तो उम्र बाकी है, वो भी क्या इस तरह कटें? और फिर तेरी छोटी बहन का क्या होगा, उसकी तो अब तक शादी भी नहीं हुई है?
मॉं की ऐसी कड़वी बाते और ताने सुनकर सपना ने अपने ऑंसू पी ले और अपने-आप को बस जिन्दा लाश मानकर ही वो रहने लगी। जो लड़की अपनी छोटी सी दुनियॉं में मस्त थी, आज उसकी दुनियॉं ही नहीं रही। पढ़ी-लिखी होने पर भी सबकुछ सहन कर रही थी।
पर वो ज्यादा दिन इस तरह रह ना पाई। अपनी बेटियों की मौत का गम उससे सहा नहीं गया और अंत में उसने आत्महत्या कर ली।
पति ने अंतिम यात्रा के दौरान भी उसके चरित्र पर कीचड उछाला और कह दिया कि किसी के साथ उसका चक्कर चल रहा था और उसके आशिक ने ही उसकी हत्या कर दी। परन्तु बेबुनियाद आरोप साबित करने उसके पति के पास कोई सबूत ना था।
अंतिम यात्रा के बाद जब सभी शोक करने लगे, तब लड़की का जो असली प्रेमी था जिसे सपना सच्चा प्यार करती थी, वो कुछ दिन पहले ही शहर लौटा था और सपना से उसकी एक बार फोन पर बात भी हुई थी।
सपना ने जब आत्महत्या करने से पहले फोन पर अपनी सारी बाते बातों-बातों में उसे बता दी, तब सहयोग वश उसके प्रेमी के फोन में सारी वीडियों कॉल रिकार्डिंग हो गई थी और आज वहीं रिकार्डिंग प्रेमी ने पुलिस समेत सभी को दिखाया।
जब सारा सच सामने आया तो, सपना के माता पिता के साथ सास-ससुर की ऑंखो से भी ऑंसूयों की धारा बहने लगी। इतना कुछ सपना के साथ होता रहा और सब वो अकेले सहती रही। सपना ने अपना सारा हॉल एक कविता के रूप में सुनाया और लड़की होना कितना दुखदायी है ये भी बताया।
तब जाकर सपना के माता पिता की ऑंखे खुली और अपनी बेटी को खोने के बाद, उसकी अहमियत समझ आई। अब उसके माता पिता पछताने लगे कि समाज और तानों के ड़र से उन्होंने की अपनी बेटी को कभी समझा नहीं।
पर अब पछतावे का क्या होगा, जब सपना ही ना रहीं? अब पति को सजा मिल भी गई तो, क्या वो अपनी बेटी को वापिस ला पायेगे? और उन तानों और कड़वी बातो का क्या, जो घरवालों ने ही उसे सुनाई और एक बहादुर लड़की को ड़रपोक और कमज़ोर बना दिया।
आज समाज में एक दो या तीन नहीं, ऐसी हजारों सपना हैं, जिन्हें घरवालों के ताने और समाज की बाते आदि सुनाकर अन्दर से कमज़ोर बना दिया जाता है और इसी तरह वे हर एक दिन अनेकों जुल्म सहती हुई घूट-घूटकर मरती है। इसलिए सभी लोगों से नम्र निवेदन है कि वे अपनी बेटियों, बहनों और सभी लड़कियों को समझे और उन्हें साहसी और निड़र बनाएं, ना कि इस तरह उन्हें अन्दर से खोखला कर दें।