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मतलब की दुनिया सारी, मतलब के लोग यहॉं।
मतलब की रिश्तेदारी, मतलब से भरे लोग यहॉं।।
मतलब का भी मतलब निकालते, भरे पड़े हैं लोग यहॉं।
अर्थ का भी अनर्थ बनाते, काफी ज्यादा लोग यहॉं।।
सामने दोस्ती निभाने वाले, पीठ पीछे दुश्मनी निभाते लोग यहॉं।
अच्छाई का नकाब ओढ़े, दो दो मुखौटे पहनते लोग यहॉं।।
जश्न में शामिल होने, जबरदस्ती का रिश्ता बनाते लोग यहॉं।
मुसीबत के आने पर, बहाने बनाकर रिश्ता तोड़ते लोग यहॉं।।
जरूरत के वक्त मुँह मोड़कर, चले जाने वाले लोग यहॉं।
काम के समय बढ़-चढ़कर, याद करने वाले लोग यहॉं।।
उदार लेकर मुँह ना दिखाते, बड़े फरेबी लोग यहॉं।
अहसान कर बार-बार जताते, बड़े अहंकारी लोग यहॉं।।
मुँह पर मीठा बोलते, पीछे जहर उगलते लोग यहॉं।
सामने तरक्की की दुआ देते, पीछे जलते-भुनते लोग यहॉं।।
बात का बतंगड बनाते, मिर्च-मसाला लगाते लोग यहॉं।
दर्द की वजह जानते, नमक छिड़कते लोग यहॉं।।
हो गई एक छोटी सी गलती, तो उंगलियाँ उठाते हर लोग यहॉं।
हो गई खुद से एक गलती, तो अच्छे वकील बन जाते लोग यहॉं।।
भोले और ईमानदार इंसान को, गंवार कहके मजाक उड़ाते लोग यहॉं।
सच की राह पर चलने वाले को, राह भटका के मजे लेते लोग यहॉं।।
फिजूल की बातें करने को, बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी लेते लोग यहॉं।
सही मुद्दे पर चर्चा करने को, उबाऊ सा विषय बताते लोग यहॉं।।
बिना मांगे सलाह देने को, आ जाते काफी मात्रा में लोग यहॉं।
विकास के कार्य में साथ देने को, आगे ना आए कोई लोग यहॉं।।
पैसो के नशे में चूर, अपनों का भी खून करते लोग यहॉं।
ईमानदारी को बेचकर, बेईमानों के तलवे चाटते लोग यहॉं।।
प्यार का दिखावा करके, जज़्बातों से खेलते लोग यहॉं।
खाई की ओर धकेल के, बड़े मासूम बनते लोग यहॉं।।
दान करने का दिखावा करके, खुदको भगवान समझते लोग यहॉं।
अच्छा बनने का दिखावा करके, पीछे षड्यंत्र रचते लोग यहॉं।।
सच को झूठ और झूठ को सच बनाते, मक्कार लोग यहॉं।
साम दाम दंड भेद की रणनीति अपनाते, कूटनीतिज्ञ लोग यहॉं।।
अपने राज खुद में सीमित रख, जानने के लिए उत्सुक लोग हैं यहॉं।
तू बस लक्ष्य पर नजर रख, रोकने के लिए काफी लोग हैं यहॉं।।
अपने मन की सुन और कर, चर्चा करने के लिए लोग हैं यहॉं।
तू बस मुकाम हासिल कर, तालियाँ बजाने के लिए लोग हैं यहॉं।।
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