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कुछ बाते अनसुनी अनकही रह जाती हैं 
दील के भीतर ही फंसी रह जाती हैं।
मन तो बहुत करता है कि किसीको वह कहु
लेकिन कहीं वह मुझसे दूर ना हो इसे में डरु।
अतीत के दौराने का वो डर सा लगता है
फिर मेरी ज़िंदगी मे एक नया इनसान आता है।
एक बार मैंने हिमत जुताई
और कहीं मेरी कहानी।
उसने बहुत गंभीरता से सब सूना
और बोला तुम डरो मत मैं हु ना।
मेरी वह बातें अभ अनसुनी अनकही ना रहीं
फ़िर सोचा कि मेरा वह निश्चय था सही।

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