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जीन बैंक की अवधारणा –

बैंकों से तो हम सभी परिचित हैं। जहाँ हम पैसों का लेन-देन करते हैं और उनका निवेश भी करते हैं लेकिन आज हम एक खास तरह के बैंक के बारे में विस्तार से जानेंगे और समझेंगे कि वह कैसे और क्या कार्य करता हैं। जी हाँ, मैं बात कर रही हूँ जीन बैंक की, जो एक प्रकार का जीन-रिपॉजिटरी या जीन संग्रह है। जो जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला से आनुवंशिक सामग्री जैसे डीएनए, आरएनए और अन्य जैविक नमूने एकत्र, संग्रहीत और संरक्षित करता है। इन आनुवंशिक संसाधनों का उपयोग अक्सर वैज्ञानिक अनुसंधान, संरक्षण प्रयासों और जैव प्रौद्योगिकी और कृषि में विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है। इसमें पौधों के बीज व कलम को तथा प्राणियों में अंडाणु एवं शुक्राणु को संरक्षित किया जाता है और जब इनकी आवश्यकता होती है तब उपयोग किया जाता है। इनमें किसी भी प्रजाति के जीन को नियंत्रित दशा में संरक्षित किया जा सकता है।

जीन बैंक की उपयोगिता –

विभिन्न क्षेत्रों में अगर दृष्टि डालें तो हम पाएंगे कि जीन बैंक बहुउपयोगी हैं जैसे – जीन बैंक विभिन्न प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता को नुकसान से बचाने के लिए संग्रहीत करते हैं, विशेष रूप से निवास स्थान के विनाश, जलवायु परिवर्तन और अन्य खतरों की स्थिति में। यह जैव विविधता संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।

अनुसंधान के क्षेत्र में वैज्ञानिक और शोधकर्ता जीन, लक्षण और आनुवंशिक विविधता का अध्ययन और विश्लेषण करने के लिए जीन बैंकों से आनुवंशिक सामग्री का उपयोग करते हैं। यह शोध आनुवंशिकी के बारे में हमारी समझ को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है और कृषि, चिकित्सा और पारिस्थितिकी जैसे क्षेत्रों में इसका अनुप्रयोग हो सकता है।

पौधों और पशुओं के प्रजनन की बात अगर करें तो जीन बैंक अक्सर रोग प्रतिरोधक क्षमता, उच्च उपज, या बेहतर पोषण मूल्य जैसी वांछनीय विशेषताओं के साथ नई फसल किस्मों या पशुधन नस्लों को विकसित करने के लिए प्रजनकों और किसानों को आनुवंशिक संसाधन प्रदान करते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में जीन बैंक शैक्षिक संसाधनों के रूप में काम कर सकते हैं, जिससे आनुवंशिक विविधता और जैव विविधता संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

आखिर ये जीन बैंक काम कैसे करते हैं? ये जीन संग्रहित तो करते ही हैं साथ ही कुछ विशेष जीन बैंक डीएनए का प्रबंधन भी करते हैं जो जीवित चीज़ों को उनकी विशिष्ट्ता प्रदान करते हैं। जीन बैंक यह सुनिश्चित करते हैं कि आनुवंशिक सामग्री सुरक्षित रूप से संरक्षित रहे और लोगों के उपयोग हेतु उपलब्ध रहे। जीन बैंक में सैंपल का कलेक्शन, एक्विज़िशन और प्रोसेसिंग की जाती हैं जिसमें सैंपल की गुणवत्ता, उनके अस्तित्व में बने रहने की क्षमता और वे स्वस्थ हैं या नहीं इसकी जांच शामिल है। इसके अलावा सैंपल का स्टोरेज, रीजनेरेशन और मल्टीप्लीकेशन करते हुए उनका डिटेल रिकॉर्ड भी रखा जाता हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर साफ़-स्वच्छ एवं बीमारी-रहित बीजों व अन्य जेनेटिक मटेरियल का वितरण किया जा सके।

जीन बैंक में रिकॉर्डकीपिंग -

इसकी शुरुआत होती है सूची प्रबंधन से। जीन बैंक में संग्रहीत आनुवंशिक सामग्री की सैंपल संख्या और प्रकार को ट्रैक करने के लिए एक व्यापक सूची प्रणाली विकसित की जाती है। इसके लिए विशेष सॉफ़्टवेयर एवं डेटाबेस का उपयोग किया जाता है। जब किसी आनुवंशिक नमूने को जीन बैंक में जमा किया जाता है तो उसे एक यूनिक नंबर दिया जाता है। यही नंबर सैंपल ट्रैकिंग और पुनर्प्राप्ति के लिए आवश्यक होता है।

जीन बैंक का दस्तावेजीकरण -

इसके बाद मेटाडेटा और दस्तावेज़ीकरण का काम किया जाता है। प्रत्येक सैंपल के लिए विस्तृत रिकॉर्ड और दस्तावेज़ बनाए जाते हैं जिसमें प्रजाति, उत्पत्ति का स्थान, संग्रह तिथि, संग्राहक का नाम और अन्य प्रासंगिक जानकारी शामिल की जाती है।

तत्पश्चात बारकोडिंग की जाती है। आनुवंशिक सामग्री को पुनः प्राप्त करने और प्रबंधित करने को आसान बनाने के लिए बारकोडिंग या अन्य पहचान विधियों का उपयोग किया जाता है। इससे गलत पहचान का जोखिम कम हो जाता है।

क्षय या हानि को रोकने के लिए नमूनों की उचित पैकेजिंग और लेबलिंग सुनिश्चित की जाती है। इस हेतु वायुरोधी कंटेनरों का उपयोग किया जाता है।

तापमान और आर्द्रता नियंत्रण भी एक महत्वपूर्ण स्टेप होता है जिसमें आनुवंशिक सामग्री को संरक्षित करने के लिए उचित तापमान और आर्द्रता का स्तर बनाए रखा जाता है।

संग्रहित आनुवंशिक सामग्री की नियमित रूप से निगरानी की जाती है और सामग्री व्यवहार्य बनी रहे यह सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर अंकुरण परीक्षण या व्यवहार्यता आकलन भी किया जाता है।

जीन बैंकों का प्रबंधन –

जीन बैंक में उपलब्ध सम्पूर्ण डेटा का प्रबंधन अत्यावश्यक है इसके लिए डेटा को अपडेट करना और डेटा हानि को रोकने के लिए बैकअप बनाना शामिल होता है।

जीन बैंक के भौतिक और डिजिटल रिकॉर्ड की सुरक्षा के लिए कई उपाय किये जाते हैं। अनधिकृत पहुंच को रोकने के लिए बैंक की भंडारण सुविधा और डेटा तक पहुंच प्रतिबंधित की जाती है।

जीन बैंक में रिकार्ड्स बनाये रखने का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कदम है आपदा हेतु तैयारियां। प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटनाओं या मशीनी विफलताओं की स्थिति में आनुवंशिक सामग्री की सुरक्षा के लिए एक आपदा योजना भी विकसित की जाती है।

जीन बैंक कई प्रकार के होते हैं –

1. सीड बैंक - इन बैंक्स में सूखे बीजों को बहुत कम तापमान में संग्रह कर संरक्षित किया जाता है लेकिन इनमें बीज रहित पौधों को संरक्षित नहीं किया जा सकता। विश्व का सबसे बड़ा बीज कोष 'मिलेनियम सीड बैंक' है जो साउथ ईस्ट इंग्लैंड में स्थित है।

2. क्रायो बैंक - इस तकनीक में बीज या भ्रूण को अत्यंत कम टेम्परेचर पर लिक्विड नाइट्रोजन में -196 डिग्रीसेल्सियस पर सुरक्षित रखा जाता है। यह तकनीक विलुप्त हो रही प्रजातियों के संरक्षण के लिए लाभदायक है।

3. पॉलेन बैंक - इन बैंकों में पराग कणों का संग्रह किया जाता है जिससे वर्तमान में विलुप्त हो रही प्रजातियों का पौधा बनाया जा सकता है। इस तकनीक का प्रयोग कर हम समान क्रोमोसोम वाले पौधे बना सकते हैं।

4. टिश्यू बैंक - इस तकनीक का प्रयोग बीज रहित तथा अलैंगिक प्रजनन करने वाले पौधों को विशेष तापमान एवं माध्यम में संरक्षित करके किया जाता है।

इसके अलावा एक और तकनीक है जिसमें किसी सम्पूर्ण क्षेत्र को ही बायो बैंक बना लिया जाता है। इस प्रणाली में जीन संरक्षण के लिए पौधों को रोपा जाता है और इसके लिए कृत्रिम ईकोसिस्टम बनाया जाता है। इस तकनीक द्वारा महत्वपूर्ण फसलों के जनन द्रव को भी संरक्षित किया जा सकता है।

दुनिया भर में क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के लगभग 1750 से अधिक जीन बैंक हैं जो फसल विविधता के लगभग 7.4 मिलियन नमूने संरक्षित करते हैं। एक प्रसिद्ध जीन बैंक आर्कटिक सर्किल में स्थित है। जिसे ‘स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वाल्ट’ कहा जाता है। जो नॉर्वे और उत्तरी ध्रुव के बीच स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय बीज बैंक है। यह वैश्विक बीज बैंक दुनिया में स्थित विभिन्न जीन बैंकों के बैकअप के रूप में बनाया गया है। यदि किसी बीज बैंक के साथ प्राकृतिक आपदा या अन्य कोई दुर्घटना घटती है तो दुनिया के पास जरूरत पड़ने पर उपयोग करने के लिए स्वालबार्ड में स्टेम बीज की उपलब्धता फिर भी होगी।

अगर हम भारत की बात करें तो हमारे देश में पादप आनुवांशिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए एक नोडल संगठन है जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) के नियंत्रण में कार्य करता है। यह स्वदेशी और विदेशी पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के अन्वेषण, संग्रह की योजना, आयोजन, संचालन और समन्वय करता है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है एवं इसके 10 क्षेत्रीय स्टेशन हैं। हमारे देश मंत नेशनल जीन बैंक की स्थापना वर्ष 1996 में की गई थी। इसी तरह करनाल हरियाणा में स्थित राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो "राष्ट्रीय पशु जीन बैंक” का उद्देश्य स्वदेशी पशुधन जैव विविधता का संरक्षण करना है। भारत का सीड वाल्ट हिमालय में लद्दाख के 'चांग ला' क्षेत्र में स्थित है।

जीन बैंक पृथ्वी पर मनुष्य के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि कृषि जैव विविधता के संरक्षण में, पौधों के आनुवंशिक संसाधनों के संग्रहीत और संरक्षण के कार्य में, जीन बैंक का उपयोग किया जाता है। इनके द्वारा संरक्षित आनुवांशिक मटेरियल से क्रॉसब्रीडिंग करना संभव हो पाता है। इनविट्रो बैंक तकनीक के माध्यम से ऐसे बीज रहित पौधों को संरक्षित करने का कार्य किया जाता है जिन्हें क्लोन के रूप में संरक्षण की आवश्यकता पड़ती है। इसी तरह क्रायो बैंक तकनीक विलुप्त होने का सामना कर रही प्रजातियों के संरक्षण में सहायक है। पौधों और जानवरों के अलावा, जीन बैंकों में भूमण्डलीकृत कीटाणुओं की भी संरक्षा की जाती है। इसके साथ ही इन बैंकों में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, कवक और वायरस भी सुरक्षित रखे जाते हैं, जो वैज्ञानिक अनुसंधान और चिकित्सा उपचार के लिए उपयोग में लाये जाते हैं। जीन बैंक में विविधता का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग जलवायु आपात स्थितियों से निपटने के लिए फसलों को तैयार करना है।

जीन बैंक से सम्बंधित कुछ रोचक तथ्य -

* रशियन जेनेटेसिस्ट निकोलाई वैविलोव को 'फादर ऑफ़ प्लांट जेनेटिक रिसोर्स' कहा जाता हैं क्योंकि सर्वप्रथम इन्होंने ही जीन बैंक की स्थापना की थी।

* इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर द सेमी-एरिअल ट्रॉपिक्स (ICRISAT) जो हैदराबाद में स्थित है; विश्व का पहला ऐसा 'ग्रीन जीन बैंक' है जो पूर्णतः सोलर एनर्जी द्वारा संचालित है।

* नई दिल्ली स्थित 'नानाजी देशमुख प्लांट फेनोमिक्स सेंटर' (ICAR - IARI) को विश्व के द्वितीय सबसे बड़े जीन बैंक का दर्ज़ा प्राप्त है।

जीन बैंक वर्तमान किसानों के साथ-साथ भविष्य के किसानों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि किसी एक क्षेत्र विशेष में केवल कुछ ही फसलों का लगातार उपयोग किया जाता है ऐसे में जब भी जलवायु या पर्यावरण बदलता है तो ये फसलें नए जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं और अच्छी तरह विकसित नहीं हो पातीं। ऐसे में किसान नई जलवायु का सामना करने में सक्षम फसल प्राप्त करने के लिए बीज बैंकों पर भरोसा कर सकते हैं। चूँकि बीज बैंक बड़ी और विविध प्रकार की फसलों को संग्रहीत करने के लिए होते हैं इसलिए वे फसलों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसका उदाहरण हमें सीरिया में देखने को मिला जब 2019 में युद्ध के कारण नष्ट हुए एक अंतर्राष्ट्रीय जीन बैंक में फिर से स्टॉक करने के लिए स्वालबार्ड से बीज लौटाए गए थे। इसके अलावा 2012 में अंतर्राष्ट्रीय जीन बैंक ने 120 से अधिक देशों में उपयोगकर्ताओं को लगभग एक मिलियन नमूने वितरित किये थे।

जीन बैंक व अन्य बैंकों में अंतर यह है कि जीन बैंक में जमा संसाधन जीवित होते हैं और जिनके परिणाम अच्छे या बुरे हो सकते हैं। जीन बैंकों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनकी होल्डिंग जीवित रहे, जिसके लिए नमूनों की व्यावहारिकता की जांच करने के लिए उचित तकनीक और प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है जो डुप्लीकेट नमूनों को अन्य जीन बैंकों और ‘स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वाल्ट’ में सुरक्षित रखने के लिए भेजते हैं क्योंकि सर्वोत्तम जीन बैंक में भी संरक्षित वस्तुएं कभी-कभी ज़रा सी असावधानी से विनाशकारी रूप ले सकती हैं।

जनसँख्या विस्फोट, शहरीकरण तथा औद्योगिकीकरण से वातावरणीय रासायनिक संरचना में निरंतर परिवर्तन हो रहा है। जिसके कारण हमारी जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जीन बैंक और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि ये न केवल हमारी जैव विविधता के संरक्षण की गारंटी देते हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के नुकसान को कम करके जीवन के विविध रूपों को बचाने में अपना बहुमूल्य योगदान भी दे रहे हैं।


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