चल तुझे दिले जज़्बात सुनता हूं....
तुम्हें इश्क़ के अल्फाज़ सुनाता हूं....
चल तुझे दिले जज़्बात सुनता हूं....
तुम्हें इश्क़ के अल्फाज़ सुनाता हूं....
यह इश्क कुछ इस कदर रुलाती है,
यह इश्क कुछ इस कदर रुलाती है,
अपने रंगीन मिजाज में
भूले भटको को बहलाती है,
अपने रंगीन मिजाज में,
भूले भटको को बहलाती है,
ऐ मुसाफिर क्यों फिरते हो की इश्क की तलाश में,
ऐ मुसाफिर क्यों फिरते हो इश्क की तलाश में,
यह इश्क बहुत रुलाती है ,......
बहुत रुलाती है......
बहुत रुलाती है.....
ऐ मुसाफिर इश्क़ तलाश में, यू डर डर ना भटका कर....
ऐ मुसाफिर इश्क़ तलाश में, यू डर डर ना भटका कर....
यह इश्क बहुत रुलाती है ...
यह इश्क बहुत रुलाती है....
यह इश्क बहुत रुलाती है............
चल तुझे दिले जज़्बात सुनता हूं....
तुम्हें इश्क़ के अल्फाज़ सुनाता हूं....
चल तुझे दिले जज़्बात सुनता हूं....
तुम्हें इश्क़ के अल्फाज़ सुनाता हूं....