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ऊर्जा – जिस प्रकार जीवन की शुरुआत पाँच तत्त्व के सम्मेलन से होती है, जैसे – भूमि जो स्थिरता का प्रतीक है( शिक्षा जो हमे आर्थिक, सामाजिक,साक्षरता, मैं प्रगति अथवा बदलाव लाती तकनीकी विज्ञान, सामाजिक विज्ञान,तार्किक क्षमता,स्वैच्छिक दृष्टिकोण, मानसिक एवं बौद्धिक क्षमता प्रदान करती है) गगन जो ऊंचाई का प्रतीक है (ज्ञान ,जो जीवन का प्रतिनिधित्व करता है , तथा मनुष्य के भीतर दृश्य प्रकाश प्रदान कर सुन्दरता को निखारता है, जिसका अर्थ है -विचारशील, बुद्धिमान और समझदार होना है,जो विशेष रूप से मनुष्य के लिए आंतरिक प्रकृति के सराहनीय गुणों में से एक है, तथा प्रतिरुप की तरह उत्पन हो कर मानव दष्टि का संचार करता है), वायु – तीव्रता का प्रतीक है ( जैसे विचार जो विशेष रूप से रूपांतरित होकर जीवन में जीवनशैली, आचरण, क्रियाकलाप जैसी व्यावहारिक गतिविधियों में शामिल होकर जीवन को आकार देता है,), नीर -शीतलता का प्रतीक है (चरित्र और आचरण, जिनसे प्रभावित होकर व्यक्ति अपनी जीवन शक्ति का निर्माण और विकास करता है)

गति- अच्छी शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने तथा उनसे उत्पन्न गुण, व्यवहार का उत्पादन करके, जिसका निरंतर उपयोग किसी जीवन को आकार या दिशा देने में किया जाता है, अपने जीवन को स्थायी बनाकर अनेक अवसर प्रदान करता है, इसके साथ ही मनुष्य अपनी स्थिति को सरल बनाकर अपने उद्देश्य को प्राप्त करता है। 

स्थिरता - ज्ञानमूलक मनोवृत्ति (जो उत्पन्न होकर जीवन का निर्माण करती है)

रचनात्मक – कल्पनाशील और नवाचार में अपने कौशल विकसित कर अथवा मूल्यवान या नवीन विचारों का सृजन कर व्यक्तिगत गुणों को विकसित कर प्राप्त दृष्टिकोणों द्वारा समस्याओं को हल करने के तरीके को संदर्भित करता है।

ज्ञान जीवन के सभी जैविक, संरचनात्मक और क्रियात्मक पहलुओं के प्रथम चरण में उत्कृष्ट जीवन जीने की दिशा में पहला कदम है। जीवन में इसके प्रयोग से मानव मन से व्यभिचार जैसे विषैले अपशिष्ट दूर होते हैं, नैतिक गुणों का विकास होता है तथा जीवन के विशिष्ट कार्यों के लिए प्रशिक्षण द्वारा जीवन को दिशा मिलती है। शिक्षा के संयोजन या विश्लेषण से उत्सर्जित विचारों या उत्तेजनाओं को मस्तिष्क ग्रहण करता है तथा मस्तिष्क में संवेदी तंत्र के माध्यम से विस्तृत जानकारी को अवशोषित कर उन्हें विभिन्न श्रेणियों में संरचित करता है, विशिष्ट गुणों या योग्यताओं को प्राप्त करता है। ज्ञान और शिक्षा से उत्पन्न विचारों से महान गुणों का विकास होता है। उच्च और उचित शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करके मनुष्य अपने जीवन को दिशा देताहै तथा ज्ञान और शिक्षा से उत्पन्न विचार अमृत के समान होते हैं जो हमें समस्याओं का समाधान करने और अपने जीवन को बदलने, वर्तमान स्थिति को सुधारने और मानव जीवन को उत्कृष्ट बनाने के लिए निर्णय लेने में सहायता करते हैं। अन्य लोगों के साथ संबंधों, सर्वेक्षणों, गुणों, व्यावहारिक ज्ञान और शिक्षा से उत्पन्न विचार हमें अपनी सीख को अपने वास्तविक जीवन की स्थितियों में लागू करने में सहायता करते हैं, विशेष रूप से एक दिशा में निरंतर और सुचारू रूप से आगे बढ़ते हुए दूसरे लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए मनुष्य अपने जीवन का संचालन करता है। ऐसे गुणों को विकसित करके यह जीवन को दीर्घजीवी बनाता है और अनेक अवसर प्रदान करता है। यह आचरण, चरित्र और योग्यता का निर्माण करता है, जो मानव जीवन के आधारभूत संसाधन हैं। जिससे जीवन उज्ज्वल और विकसित बन सकता है अथवा जीवन निर्माण में बुद्धि, विवेक और कुशलता को अपनाकर हम वस्तुगत जगत को उसकी विशिष्ट विशेषताओं सहित अवधारणाओं, सिद्धांतों आदि में परिवर्तित कर सकते हैं और इसके साथ जीवन को आकार दे सकते हैं।

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