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ऑफिस जाने से पहले मै रोज की तरह अखबार उठाकर देख रहा था। पत्नी अनामिका जब तक नाश्ता लगा रही थी। तभी एक खबर ने मुझे चौका ही नहीं बल्कि अन्दर तक हिला कर रख दिया। मेरे चेहरे पर खबर की मनहूसियत उभर आई।
अनामिका ने भी नाश्ता लगाते हुए महसूस कर लिया कि अखबार में ऐसा कुछ जरूर छपा है जो मुझे नागवार गुजरा है, वह नाश्ता छोडकर मेरे नजदीक आ गई।
जी क्या बात है, अखबार में ऐसा क्या छपा है?
एक मनहूस खबर है, अनामिका।
वह तो आपका चेहरा ही बता रहा है।
रचना ने आत्महत्या कर ली।
रचना ने?
अनामिका को भी जानकर बहुत दुख हुआ। वह हमारे कॉलेज के दिनों की मित्र थी। मुझे और अनामिका को नजदीक लाने में भी उसका योगदान था। आज सुबह का अखबार असीम वेदना दे गया। पुरानी यादें किसी चलचित्र की तरह उभरने लगी। मैं जितना सोचता अतीत की घटनाएं उतनी ही स्पष्ट नजर आती।
उन दिनों छात्रसंघ के चुनाव होने वाले थे। मैं अपने ग्रुप की तरफ से प्रधान पद के लिये खड़ा था। जबकि रचना सचिव पद पर थी। कॉलेज में माहौल गर्म था। हमे समाचार मिला कि विरोधी ग्रुप इस बार किसी भी कीमत
में चुनाव जीतना चाहता है। चाहे कॉलेज में दंगा फसाद ही करना पडे। रचना एक समझदार और काफी बडे दिल की लडकी थी। विरोधी पक्ष के गुंडों की धमकियों का भी रचना पर कोई असर नहीं हुआ। उसने अपनी लोकप्रिय शैली में बोलते हुए दलील दी कि हमारा विरोधी पक्ष कॉलेज प्रांगण को एक गुंडागर्दी का अड्डा बनाना चाहता हैं। यहां असामाजिक तत्व गलत धंधे कर सके इसलिये वह दूसरे लोगों के साथ जुडकर हमे हराने के लिये यहां भय पैदा कर रहे हैं।
उस दिन मैं और रचना छात्र-छात्राओं को चुनाव में शामिल करने के लिये प्रेरित करने गांवों का दौरा कर रहे थे। तभी बारिश आने लगी। रास्ते में पानी जमा होने के कारण हमने पास ही एक हाइवे के होटल में शरण ले ली। बारिश में गीली रचना की झीनी साडी उसके शरीर से चिपक गई और उसके शरीर की मादकता साडी से बाहर छलकने लगी। तभी बिजली जोर से कडक उठी और रचना चीख कर मेरे सीने से आ लगी। हम दोनों बहकने लगे, ओर कमजोर होकर वह सब कर गये जिसकी समाज किसी बिन ब्याहे जोडे को इजाजत नहीं देता। मैंने रचना की हिम्मत बढाने के लिये उससे विवाह का वादा भी किया, लेकिन रचना इस घटना को अधिक तूल नहीं देना चाहती थी। बारिश धीमी होते ही हम दोनों वहां से चल दिये। कुछ दूर चलने पर ध्यान आया कि अनामिका का घर पास ही है। वह भी हमारे साथ कॉलेज में पढ़ती थी। हम दोनों अनामिका के घर पहुंच गये। उसने, हमें बारिश में वहीं रुकने को कहा, लेकिन रचना को पुनः चुनाव कार्यालय में पहुंचकर आगे की योजना बनानी थी। हम वहां से कुछ देर रुकने के बाद चल दिये। रात हो चुकी थी। मुझे घर पहुंचने की जल्दी थी और रचना को कार्यालय की। मोटरसाइकिल तेज रफ्तार से चल रही थी, कि अचानक सामने से आते ट्रक की रोशनी आंखों में पड़ी और मैं अपना बैलेन्स खो बैठा, मोटरसाइकिल पेड़ से जा टकराई।
दूसरे दिन जब होश आया तो मैं अस्पताल में भर्ती था। चोट सिर पर लगी थी। मेरे पास अनामिका बैठी थी। होश आते ही मैंने अनामिका से रचना के बारे में पूछा तो
उसने बताया, रचना कॉलेज गई हुई है। इस घटना से कॉलेज की प्रबन्ध समिति और दूसरे पक्ष के छात्र जहां चुनाव स्थगित कराना चाहते हैं, वहीं रचना और अपने पक्ष के छात्र, चुनाव कराने पर जोर दे रहे हैं।
अनामिका की बात सुनकर मुझे दुख हुआ और सोचने लगा, रचना मुझे इस हालत में छोडकर कॉलेज चली गई। अनामिका की जगह रचना को मेरे पास होना चाहिये था। कॉलेज की राजनीति मेरे प्यार से भी अधिक हो गई थी।
दूसरे दिन जब रचना आई तो उसकी बातों में कॉलेज के चुनाव की राजनीति ही थी। मैने रचना से जब विवाह की बात की तो वह हंसते हुए बोली, मैं अभी विवाह जैसे
झमेले में नहीं पड़ना चाहती। विवाह औरत की प्रगति में गतिरोध है। मैं राजनीति के क्षितिज पर सूर्य की तरह चमकना चाहती हूं। कल हमारा जिस्मानी रिश्ता कायम हुआ उसके लिये तुम्हे अकेले को दोष नहीं देती। मैं औरत और मर्द के इस भावनात्मक रिश्ते को गलत नहीं समझती। मैं रचना की बात सुनकर कांप गया और जितने दिन भी अस्पताल में रहा अनामिका ने ही मेरी सेवा की। धीरे-धीरे रचना और मेरे प्यार पर राजनीति की धूल छाने लगी और शायद अनामिका और मैं करीब आने लगे। फिर एक दिन रचना ही मेरे पास अनामिका के साथ मेरे विवाह का प्रस्ताव लेकर आई। मैं कुछ समझ पाता उससे पहले ही रचना और हमारे माता-पिता ने जोर देकर मेरा विवाह अनामिका से करवा दिया । सुहागरात को ही अनामिका ने मुझे बताया, रचना के कहने पर ही मैंने अस्पताल में आपकी सेवा की थी ।
आज रचना द्वारा आत्महत्या की खबर पढकर हम चौके और रचना के घर गये। वहां पता चला वह एड्स जैसे घातक रोग की शिकार हुई थी। उसने मरने से पहले मेरे नाम एक पत्र भी छोड़ा था, जिसमें लिखा था, - राजनीति में आगे लाने के नाम पर हर किसी ने मेरा दैहिक शोषण किया। मंजिल पर पहुंचने से पहले ही कोई एड्स जैसी घातक बीमारी दे गया। आकाश मुझे हर मोड पर लूटा गया। पहले मेरे सपने ने, फिर नेताओं ने और आज मुझे मौत लूट रही है।
मैं और अनामिका अपने घर आ गये, लेकिन कुछ बातें अब भी दिमाग में घूम रही हैं कि, क्या रचना ने भविष्य के लिए जो सपना देखा वह गलत था?
हर मोड पर उसे क्यों लूटा गया?
उसका सपना क्यों अधूरा रह गया?