Photo by Brennan Martinez on Unsplash
क्या है मेरी पहचान ..
खो चुके खुद उस अंधेरे में. ..
के रोशनी कब आएगी ना जाने ,
जिंदगी की उस दौड़ में लगाया है खुद को,
केसा होगा अंत ना जाने,
पथ्थरो की लकीरें है ,
कही पथ्थर ना बन जाए ना जाने ,
अब तो इंतजार है सिर्फ उस आवाज़ की,
जो हमारे दिल में है ,
खोया हुं, खुली आँख सोया हुं,
जाग के खुद को ढूंढ ना है ।
मिल के उस आसमान से वो सितारा बनना है,
जिसे दुनिया दिल से पसंद करती है ।
हा यही मेरी पहचान है ....