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 क्या है मेरी पहचान ..
   खो चुके खुद उस अंधेरे में. ..
 के रोशनी कब आएगी ना जाने ,
  जिंदगी की उस दौड़ में लगाया है खुद को,
  केसा होगा अंत ना जाने,
  पथ्थरो की लकीरें है ,
 कही पथ्थर ना बन जाए ना जाने ,
  अब तो इंतजार है सिर्फ उस आवाज़ की,
जो हमारे दिल में है ,
   खोया हुं,  खुली आँख सोया हुं, 
  जाग के खुद को ढूंढ ना है ।
 मिल के उस आसमान से वो सितारा बनना है, 
  जिसे दुनिया दिल से पसंद करती है ।
 हा यही मेरी पहचान है ....

 

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