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हम इस दौर को "digitally transition" का दौर कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि आज हर इंसान के हाथ में फोन है और वह ज्यादातर समय ऑनलाइन, सोशल मीडिया में बिता रहा है। एक ऐसी आभासी दुनिया, जो इंसानों के जीवन का प्रमुख हिस्सा वास्तविकता में बदलता जा रहा है। AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के विषय में तो हर कोई बात कर रहा है, कहीं न कहीं उससे रूबरू है, लेकिन AI का उन्नततम संस्करण, जिसके बारे में लोगों को शायद ही जानकारी हो, इस लेख में हम इसी के विषय में चर्चा करेंगे। आपको इस बारे में जानना चाहिए क्योंकि यह तकनीकी आपके जीवन को पूरी तरह से बदलने वाली है, वह तकनीकी है "मेटावर्स"।
यह तकनीकी क्या है? कैसे काम करती है? आपकी जिंदगी कैसे बदलने वाली है, इस पर बात करने से पहले हमें इसके इतिहास में जाना चाहिए, तभी हम इसे अच्छे से समझ पाएंगे।
मेटावर्स की अवधारणा सबसे पहले नील स्टीफेंसन ने 1992 में अपनी किताब "Snow Crash" में रखी थी। यह एक साइंस फिक्शन किताब है, जिसमें भविष्य के समाज को दिखाया गया है, जहां इंटरनेट एक वर्चुअल 3D जगह में बदल चुका है। इसमें बताया गया है कि कैसे लोग एक-दूसरे से वर्चुअली कनेक्ट होते हैं, व्यापार करते हैं और एक आभासी या कृत्रिम दुनिया का निर्माण करते हैं, जहां लोग होकर भी नहीं होते। वे अपनी पहचान को दर्शाने के लिए मॉडल प्रोटोटाइप इंसान का चयन करते हैं, जो संबंधित व्यक्ति के लिए काम करता है। आप इसे इस तरह समझ सकते हैं: आपका शरीर जहां है, वहीं रह जाए, और आपकी आत्मा अलग हो जाए, एक नया शरीर धारण कर आपके लिए काम करे।
नील स्टीफेंसन ने अपनी किताब में मेटावर्स के विचार को एक डिजिटल दुनिया के रूप में पेश किया है, जिसमें बहुत सी चीजें हैं, जिस पर गहराई से वह चित्रण करते हैं, जैसे मानवीय संबंध, संस्कृति और सामाजिक संरचना। यह भविष्य की एक ऐसी दुनिया है, जहां लोग अपनी वास्तविक दुनिया से बचने के लिए वर्चुअल संसार में प्रवेश करते हैं, और यहां वे अपनी वास्तविक पहचान से इतर एक नई डिजिटल पहचान बना लेते हैं।
नील स्टीफेंसन की वही काल्पनिक दुनिया वास्तविकता का हिस्सा बनती जा रही है। फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म मेटा तकनीकी पर काम कर रहे हैं, व्यावसायिक और सामाजिक दिशा देने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि वर्चुअल और भौतिक दुनिया के बीच की सीमा को धुंधला किया जा सके और लोगों को एक ऐसी डिजिटल जगह मिल सके, जहां वे वास्तविकता से अलग होकर अपनी इच्छाओं और जरूरतों के अनुसार जीवन जी सकें।
मेटावर्स एक वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) का संयोजन है। जैसे लोग 3D ग्लास का इस्तेमाल कर फिल्म को जीवंत अनुभव कर सकते हैं, वहीं मेटावर्स इससे आगे का अनुभव देता है। डिजिटल हो रही किसी भी गतिविधि पर ऑगमेंटेड रियलिटी द्वारा इंसान जुड़ सकता है। मेटावर्स के पास उस व्यक्ति की जानकारी, ऑडियो, वीडियो या ग्राफिक्स सेंसर के माध्यम से तस्वीर उपलब्ध हो सकती है, जिसके आधार पर यह तकनीकी इंसान को एक वर्चुअल दुनिया में ले जाएगी।
वर्चुअल रियलिटी में इंसान पूरी तरह से एक वर्चुअल दुनिया में होता है, उसे वास्तविक दुनिया से पूरी तरह से काट दिया जाता है। VR के लिए हेडसेट की जरूरत होती है, जो उपयोगकर्ता को एक पूरी तरह से डिजिटल दुनिया में ले जाता है।
इस तकनीकी के माध्यम से लोग डिजिटल तरीके से एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं, काम कर सकते हैं, खेल सकते हैं और यहां तक कि अपने दैनिक जीवन के कार्यों को भी कर सकते हैं। यह एक प्रकार का 3D वर्चुअल वातावरण है, जो लोगों को भौतिक दुनिया से परे एक नया अनुभव प्रदान करता है। इसके अलावा, कई प्रमुख कंपनियां मेटा तकनीकी पर काम कर रही हैं, जैसे माइक्रोसॉफ्ट, एपल, एपिक गेम्स, डेंटरलैंड, सैंडबॉक्स, Nvidia और अन्य।
मेटावर्स के माध्यम से लोग भौतिक रूप से दूर रहते हुए भी वर्चुअल अवतार के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं। दुनिया के किसी भी कोने में हों, एक-दूसरे के करीब आ सकते हैं, भले ही वे भौतिक रूप से कहीं भी हों, लेकिन आभासी रूप से एक-दूसरे के समक्ष होने का अहसास कर पाएंगे।
वर्चुअल इवेंट्स, म्यूजिक कंसर्ट्स, पार्टियां और अन्य सामाजिक गतिविधियाँ मेटावर्स के माध्यम से आयोजित की जा सकती हैं, जहां लोग एक साथ इंटरएक्ट करेंगे और आनंद ले सकेंगे।
मेटावर्स का सबसे बड़ा प्रभाव शिक्षा के क्षेत्र पर देखा जा सकता है। स्कूल और कॉलेज अब वर्चुअल क्लासरूम के माध्यम से छात्रों को इंटरेक्टिव तरीके से पढ़ाई करवा सकते हैं। छात्रों को मेटावर्स में वर्चुअल लैब्स और सिमुलेशन के माध्यम से अधिक व्यावहारिक शिक्षा मिल सकेगी। इसके अलावा, प्रोफेशनल ट्रेनिंग के लिए भी मेटावर्स का उपयोग किया जा सकता है, जैसे मेडिकल सर्जरी, विमानन और अन्य तकनीकी प्रशिक्षण।
इसके अलावा, वर्चुअल ऑफिस स्पेस, मीटिंग्स और कार्यस्थलों के माध्यम से लोग अपनी टीमों के साथ वर्चुअल रूप से जुड़कर काम कर सकेंगे।
गेमिंग इंडस्ट्री मेटावर्स का सबसे बड़ा हिस्सा बन सकती है। खिलाड़ी वर्चुअल दुनिया में पूरी तरह से इमर्सिव अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। गेम्स के अलावा, फिल्में, थिएटर और संगीत कार्यक्रम भी मेटावर्स में आयोजित हो सकते हैं। लोग घर बैठे वर्चुअल कॉन्सर्ट या सिनेमा में हिस्सा ले सकते हैं, जो शारीरिक रूप से संभव नहीं होता।
वर्चुअल शॉपिंग भी एक नई वास्तविकता बन सकती है। उपभोक्ता मेटावर्स में अपने अवतार के माध्यम से स्टोर में जा सकते हैं, उत्पादों को देख सकते हैं और खरीदारी कर सकते हैं। इसके साथ ही, NFTs के जरिए डिजिटल वस्त्र, कला और अन्य वस्तुएं खरीदी और बेची जा सकती हैं।
मेटावर्स, डिजिटल बदलाव का एक अहम हिस्सा इंसानों के लिए बनता जा रहा है, लेकिन सुरक्षा और गोपनीयता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जो इंसानों के लिए एक बहुत बड़े चैलेंज के रूप में सामने आएगा। अगर आम बोलचाल की भाषा में कहें तो मजा और सजा दोनों ही है।