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आज तक हमने शेर हाथी एवं बन्दर की कहानिया सुनी होंगी पर आपने बकरी की बुद्धिमानी की कहानी शायद ही सुनी होगी या फिर आप आज पहली बार सुनेंगे || इस कहानी के शुरू होने से पहले मे आपको बताना चहाता हूँ की परिस्थिति कैसी भी हो यदि हम अपना सैयाम बनाये रखे तोः कोई भी मुश्किल परिस्थिति सी बाचा जा सकता है || लेकिन आज मे आपको जो कहानी बताने जा रहें हूँ वो मेरी बात का प्रस्तुत उदहारण है ||

एक जौनपुर नाम के गांव मे शीला नाम की एक बकरी रहती थी|| उसके २ बच्चे थे || वो अपने बच्चों को लेकर हमेशा चिंतित रहती थी, क्योंकि गांव के किनारे ही एक घाना जंगल था || बकरी को हमेशा ये डर लगा रहता की पता नहीं उसके बच्चे खेल खेल मे जंगल की ओर निकल जाए और वह जंगली जानवर का शिकार हो जाए|| इसी कारण वर्ष वो हमेशा अपने बच्चों के आस पास ही रहती कभी उन्हें अकेला नहीं छोड़ती और हमेशा उन्हें कहती की कभी भी जंगल की ओर मत जाना ||

लेकिन एक दिन एक बकरी का बच्चा किसान के बच्चे को चारा लाने वाले से बात करते हुए सुनता है की जंगल मे तोः ऐसे हरा भरा चारा चारों ओर भरा पड़ा रहता है, सुनकर उसे हरा हरा चारा देखने की इच्छा होती है और वो चुप चाप जंगल की ओर चाला जाता है, जब शीला बकरी यानी उसकी माँ बकरी को यहाँ बात पता चलती है तोः वो घबरा जाती है और तुरंत अपने बच्चे को ढूंढने निकलती है || वह बकरी का बच्चा खेलते खेलते जंगल मे अभी कुछ ही दूर पहुँचता है की ३ ४ सियार आकर उसे घेर लेते है ,यहाँ देखकर वह बकरी का बच्चा डर जाता है और जोर जोर से चिल्लाने लगता है अपनी माँ को बुलाने लगता है , ये देखर सारे सियार हसने लागते है और कहती है , "वाह वाह क्या ताजा ताजा माल है आज मेरी भूख मिट जायेगी "

इतने मे ही वह माँ बकरी पहुंच जाती है || और माँ बकरी उन सियार से कहती है " की बस बस ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं है वरना शेर राजा आकर तुम सबको फाड़ कर खा जाएंगे "

फिर वह सियार पूछता है " क्यों शेर राजा हमे क्यों खाएंगे"

इस पर माँ बकरी जवाब देती है की " तुम्हे क्या लगता है की मे इससे यहाँ छोड़कर क्यों गयी थी क्यूंकि शेर राज ने हुकुम दिया था की मे अपने बच्चे को लेकर यहाँ सी ना जाऊ जब तक की शेर राज वापस ना आ जाए और उनके अलावा तुमने मुझे या मेरे बच्चे को खा लिया तोः शेर राज तुम्हे जिन्दा नहीं छोड़ेंगे "

इस पर वह सियार माँ बकरी से कहता है की " पर शेर राज को पता कैसे चलेगा की तुम्हे हमने खाया है " तोः इस पर माँ बकरी हंस कर कहती है की " तुम क्या शेर राज को बेवकूफ समझते हो जंगल के राजा है वो वो देखो हाथी राज को यहाँ हमारी निगरनि के लिए छोड़ गए है वो , अब तुम चाओ तोः हमे खा सकते हो "

यहाँ सुनकर वो सियार घबरा जाता है और सोचता है की ये हाथी राज तोः मेरे बारे मे जरूर बात देगा और यहाँ सोचकर वो वह से भाग जाता है ||

वो सियार के जाते ही बच्चे की जान बचते देख वो माँ बकरी अपने बच्चे को लेकर वापस अपने गांव की तरफ भगति है अभी वो कुछ ही आगे बढ़ती है की तभी उसके सामने शेर राज आ जाता है उन्हें देखती ही शेर दहहडता हुआ उनकी आगे बढ़ता है ,ये देख बच्चा घबराकर अपनी माँ से लिपट जाता है ,तभी शेर को सामने खड़ा देख माँ बकरी कहती है " ठहरिये शेर राज वरना शेरनी को गुस्सा आ जाएगा ,

इस पर शेर राज माँ बकरी से कहता है " की कहा है शेरनी तुम मुझसे बचने के लिये झूठ बोल रही हो है ना ||,इस पर माँ बकरी कहती है की " मे आपकी शेरनी की बात कर रहें हूँ "|| शेर राज कहते है " मेरी शेरनी ", इस पर माँ बकरी कहती है शेर राज से "की आपको क्या लगता है की इस भयानक जंगल मे सैर पर निकली हूँ , नहीं मुझे शेरनी नई पकड़ लिया था और कहा था की जब तक मे ना आ जाऊ यही रुकना आज मे अपने शेर राज की लिये ताजा ताजा तुम्हे और तुम्हारे बच्चे को ले जाउंगी || इस पर शेर राज माँ बकरी से कहते है " की मे कैसे मान लूँ", यहाँ सुनकर माँ बकरी शेर राज से कहती है " की मत मानो बाद मैं आपको शेरनी के गुस्से का शिकार होना पड़ेगा , और फिर भी आपको झूठ लगे तोः वो कौंवे को पूछ लो उसे शेरनी मुझ पर निगरानी की लिए छोड़ गयी है , मेरे साथ कोई भी कुछ भी करेगा तोः वो कौंवा शेरनी को बता देगा और फिर शेरनी उसे छोड़ेगी नहीं आप छाये तोः कौंवे को भागकर देखो वो मुझे छोड़कर जाएगा ही नहीं आखिर शेरनी का हुकुम है ",

यहाँ सुनकर शेर राज कौंवे को भागने की लिए जोर जोर से दहाड़ता है मगर कौंवा एक जगह से उड़ कर फिर वही बैठ जात है " यहाँ देख माँ बकरी कहती है " कोई फ़ायदा नहीं है शेर राज कौंवा शेरनी का हुकुम ना बाजए ऐसे हो सकता है क्या " यहाँ सुनकर शेर राज माँ बकरी से कहता है " की सच कह रहें हो तुम कौंवा तुम्हारी जासूसी के लिये ही है , यहाँ से नहीं जा राहे,खैर शेरनी से पन्गा कौन लेगा मे ही यहाँ से चला जाता हूँ बाद मैं तोः शेरनी तुम दोनों को मेरे लिए ही लाएगी " यहाँ कहता हुआ शेर राज वह से चला जाता है || उसके जाते ही बकरी अपने बच्चे को लेकर जल्दी जल्दी गांव की तरफ भगति है , अभी वो थोड़ी ही दूर पोहोचति है की तभी सामने से शेरनी आ जाती है ,और शेरनी उसे देखते है और जोर जोर से दहाड़ने लगती है और कहती है " वाह वाह आज मेरे शेर राज के लिए तुम दोनों शिकार को देख खुश हो जाएंगे ", इस पर माँ बकरी शेरनी से कहती है "की पति पत्नी हो तोः आप जैसे दोनों ही एक दूसरे को खुश करने मे लागे हो ,

इस पर शेरनी कहती है " की तुम्हारा मतलब क्या है " , तोः इस पर माँ बकरी कहती है की " रोज आप शेर राज के लिए शिकार करके ले जाती हो आज शेर राज ने आप के लिये हम दोनों को शिकार करने का सोचा है " इस पर शेरनी कहती है "तोः फिर शिकार किया क्यों नहीं ", इस पर माँ बकरी कहती है "की शेरनी को गुफा मे आ जाने दो तोः तुमलोग का ताजा ताजा शिकार करके ली जाऊँगा आज शेरनी को मेरी तरफ से दावत है ",इस पर शेरनी कहती है " की अगर मरे जाते है तुम भाग गयी तोः " इस पर माँ बकरी कहती है "अब तक भागी क्या , और फिर मेरी निगरनि के लिए शेर राज ने खरगोश को रखा है मे कही भी जाउंगी खरगोश मेरे पीछे पीछे आएगा और शेर राज को बात देगा ",इस पर शेरनी माँ बकरी से कहती है " मे अभी जाकर शेर राज को तुम दोनों का शिकार करनी की लिये भेजती हूँ " इतना कहकर शेरनी वह से चली जाती है , और माँ बकरी यहाँ वह देखकर अपने बच्चे को लेकर गांव की ओर भगति है और सीधा किसान के घर मे बंधे अपने खूटे की पास पोहोचकर ही दम लेती है |

इस कहानी से हमे यहाँ सिख मिलती है की जीवन मे कोई भी परिस्थितिः मे हमे मुसीबत को सामने खड़ा देख घबराना नहीं चहिए धैर्य, दिमाख एवं चालाकी से काम लेना चाइये |

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