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तेरा पता मालूम हो अगर, 
मैं चीज़ एक नायाब भेजूंगा,
वो क्या कहते हैं, वह लाल फूल, 
हाँ, मैं तुझे एक गुलाब भेजूंगा। 

लिखूंगा तुझे मैं कुछ ऐसे, 
गुलाब की पंखुड़ी जैसे,
तारों से भरा आसमान लिखूंगा, 
तुझे सोचूंगा और चाँद लिखूंगा ।

हर पन्ने पर तेरा नाम लिखूंगा, 
तुझे मैं अपनी जान लिखूंगा,
तेरे होंठो का जिक्र तमाम लिखूंगा, 
और फिर तेरी मुस्कान लिखूंगा ।

उस समंदर का क्या नाम होगा? 
जिस दरिया में डूबना आसान होगा,
उन पलकों के नीचे जहान होगा, 
तेरी आंखों का जिक्र तो आम होगा ।

तेरा पता मालूम हो अगर, 
तुझ तक एक बात भेजूंगा,
तेरी आंखों में देखना चाहता हूँ जो, 
एक खत में लपेट कर ख्वाब भेजूंगा ।

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