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आज लिखने का मन नहीं है फिर भी लिखने बैठ गयी हूँ, क्योंकि लिखना मुझे बेहद पसंद है| कल मुझे लिखने को वक़्त ही नहीं मिला | जाने कहाँ से दिन शुरू हुआ और कहाँ बीत गया मुझे नहीं खबर| हाँ हालांकि दिन में मुझे एक घंटे के लगभग समय मिला पर उस वक़्त मैं इंस्टाग्राम चलाती रही | वो क्या है ना जब तक इंस्टाग्राम पर बैठकर अपना डेटा ना फूको तब तक दिन पूरा नहीं होता| पर हाँ लिखने के एक - दो ख्याल मन में जरूर आये लेकिन व्यस्तता के कारण मैंने उन्हें छोड़ दिया| लेकिन फिर भी मैं सच कहती हूँ मुझे लिखना बेहद पसंद है|

दिन भर की व्यस्तता तो ठीक है फिर रात हुई और मैं दिनभर की थकान से घिर गयी | तब मैंने सोचा अब कुछ लिख लिया जाये? पर मैं थकी हुई थी ना तो भला कैसे उठ कर बैठ सकती थी? कैसे अंधेरे कमरे में फोन की रोशनी में अपनी आँखें फूक सकती थी? सो मैंने उस समय सोना ही उच्चित विकल्प समझा और लेखनी को कल पे टाल कर सो गयी|

मैं ज्यादातर ही व्यस्त रहती हूँ मुझे अक्सर वक्त नही मिलता और लिखने के ख्याल को टाल देती हूँ|

आपको सुनकर अजीब नहीं लगता कि मुझे वो काम करने को वक़्त नहीं मिलता जो मुझे बेहद पसंद है?

कल रात नींद के दरवाजे पर चढते चढते एक काल्पनिक दुनिया बनाते बनाते मुझे यह अहसास हुआ कि मुझमें वक़्त की नहीं जुनून की कमी है|

मैं समझती हूँ कि यदि हम अपने प्रिय काम के लिए वक़्त नहीं निकाल पा रहे तो इसका अर्थ है कि या तो हम उस काम को उस शिद्दत से नहीं चाहते या हमनें खुदको भ्रमित कर रखा है कि हमें वो काम पसंद है|

चाहत जुनून पैदा करती है और जुनून उस काम को बार- बार करने को बाध्य करता है | मन होकर भी मैंने लिखने का ख्याल टाल दिया| इसका अर्थ मुझमें लेखन का जुनून नहीं? यह ख्याल ही मुझे विचलित करने को बहुत है | मेरी यही विलचितता ने मुझे आज लिखने को बाध्य किया|

मेरे ख्याल से पसंदीदा काम जुनून के साथ- साथ, उसे आदत भी बन जाना चाहिए|

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