मैं कौन हूँ, मैं इससे अनजान हूँ
बिखरी हुई सी,एक पहचान हूँ।
किसी के लिए मैं अभिशाप हूँ
तो किसी के घर का मैं मान हूँ
मैं कौन हूँ, मैं इससे.....
कोई कहता, मैं दुर्गा का रूप हूँ
तो फिर क्यों, मैं बनती किसी की भूख हूँ
खुद को ही ले कर मैं हैरान हूँ
मैं कौन हूँ मैं इससे......
क्या मैं माँ के आंचल का फूल हूँ
या बाबुल के कन्धों पर बोझ हूँ
या सिर्फ ,विवाह में किया
गया एक दान हूँ।
मैं कौन हूँ मैं इससे ...
मैं किसकी हूँ, मेरा कौन है
इन सवालों से में परेशान हूँ
मैं कौन हूँ, मैं इससे अनजान हूँ
बिखरी हुई सी, एक पहचान हूँ।