कुच दर्द मैने बातें
कुच किस्सों में हमने सुन्ने सनाते
चलो आज अपने अकेलेपन में किसी का साथ पाते हैं
क्यूँ ना आज अपने दर्द से किसी और के दर्द की मुलाकात करवाते हैं
थोड़ी धूप है हर एक के हिस्से में
थोडे गमों के बादल का हर किसी के किस्से में
कतरा कतरा अपने दिल का जोड़ें
मैं किनारे पर खड़ी हूँ
रोशनी की ओर तिनका का उम्मीद का लिए
बस आगे बढ़ रही हूँ
नहीं जाना किसी के आगे ना किसी को हराने की आस है
मुझे तो बस मेरे सुकून की तलाश है...