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कहते हैं कि ज़िंदगी लम्हों की मुस्कुराहटों का नाम है,
जो व़क्त के पाहिए के साथ आगे बढ़ सके, वो ख़ास है,
बाकी सब तो बस आम है.

समय समय की हो बात है,
जहाँ किसी के यहाँ खुशी का नूर है,
और किसी के यहाँ काली अंधेरी रात है.

अंधेरे की गलियों से मेरा वास्ता बहुत पुराना है,
कुछ लहज़ों ने मुझे कुछ ऐसा तोड़ा कि बेगाना सा लगता अब मुझे सारा ज़माना है.

यह मेरी नादानी थी कि मैंने अपने भरोसे के मोतियों से मैंने उन्हें नवाज़ा था,
क्योंकि उनके दहलीज़ पर वफ़ाई की पुकार लगाने पर बंद हर दरवाज़ा था.

सच और झूठ के पार, नकाबों से दूर मैंने एक दुनिया बसाई,
अपने कलम के रंगों से, खुदको रोशनी की चादर ओढ़ाली.

हर दर्द का सबब मेरी स्याही से भरी लिखावट जानती है,
मेरी रूह को उसके रूहदारी से कैसे रूबरू करवाना है, यह मेरी कला जानती है.

हर हंसी का, हर आंसू का, हर गम का और हर जीत का उसके पास हिसाब है,
इसे मेरा फ़ितूर कहो, पर अपने लफ़्ज़ों से मुझे इस जहाँ को रंग देने का ख़्वाब है.

लोग मुझसे पूछते हैं कि मेरे वजूद की आखिर क्या कहानी है,
मैं उनसे कहती हूँ मेरी कला ही मेरी मुस्कुराहटों की ज़बानी है।

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