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जय हो
कुम्भ की सवारी आई, श्रद्धा की सवारी
महाकुम्भ में,डूबकी लगावे सनातनी नर नारी..
जय हो
कलश से जब अमृत गिरे, धरती ये पुण्यशाली
आस्था का सागर हिलोरे, नमे भारतवासी
जय हो
साधु संत और अखाड़ों की पावन हे ये जाँखी
हिंदुत्व उत्सव मनावे, भ्रह्माण्ड गजावे ॐ वाणी
जय हो
अर्ध कुम्भ और पूर्ण कुम्भ की महिमा गा लो यारों
पावन तिथि पे, पवित्र जल में भक्तिभाव बहाओ
जय हो
भारत देश की भव्य संस्कृति स्मरण कर लो यारों
आत्मा से जय घोष कर लो, दिल से महिमा गा लो
जय हो
जन मन गण से साधु कहेँगे,धर्म में आस्था जगाओ
‘बम बम भोले’कैलाश तक पंहुचा दो,,मोक्ष गति पाओ
जय हो.

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