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मैंने प्रण किया
उसे प्रखरता से पेश किया
बार बार दोहराया गया
यह मेरे भीतर चित्कार करता धुँआ था
सकारात्मक था
अपनी पूर्ण शक्यता से व्यक्त हो रहा था
उनकी आवाज में दम था
अपने प्रभाव से प्रखरता भेज रहा था
उसे सुना गया
सितारों को सुनाया गया
कुछ पल के लिये, भ्रह्माण्ड में घुमराने दिया
काल की वाणी तक पहुंचाया गया
वहाँ पहले से ही सातों खंड, सृष्टि और
उनके सुख दुःख के संदर्भ का समर्थ सार मौजूद था
उनके ग्रन्थ में, हूबहू आलेखित था
इनकी आकारणी में, वक़्त लग सकता था
भ्रह्माण्ड में घूमते जाग्रत अणुओ से, सुझाव मंगाया गया था
उनके लिये प्रक्रिया लंबित नहीं थी
न्याय से प्रकाशित थी
क्षण के अति सूक्ष्म अणु परमाणु की प्रतिक्रिया भी पहचानी गई थी
आगे खड़ी हुई पृथ्वी को प्रतीक्षा के लिये बोला गया
क्यूंकि, कहीं युद्ध चल रहा था, कहीं जमीं से लावा बह रहा था,
कहीं विकराल आग बस्तीयाँ जला रही थी,
कहीं सरिता अपनी सीमा लाँघकर विनाश कर रही थी,
कहीं आसमां से अगन का आक्रोश फूट रहा था,
कहीं मानव सभ्यता के अति आधुनिक रिवेंज में
गोला बारूद ठूंसकर मिसाइल गिराया जा रहा था.
यह प्रकृति से खिलवाड़ से जुडा रौद्र रूप था,
समस्त जीवसृष्टी पे खतरा मंडरा रहा था.
इन लीला, महा लीला मध्य
आम आदमी के भीतर खौलते विध विध सवालों की गूंज
गौण लग रही थी,
किन्तु उनकी आवाज भी सुनी जा रही थी
सबकुछ सुना जाता है
सत्य के सारे अंश,
प्रमाण सहित आसमां के ह्रदय पे छप जाते है
जब न्याय सिंहासन पे, देव बिराजते है
समस्त सृष्टि की, श्वेत श्याम सम्भावनाओं की समीक्षा करते है
त्रिलोकी नाथ आँखे बंद करते है
उस वक़्त तीसरे नेत्र के प्रवाही में 'ॐ' तैरता है
भीतर प्रलय पैदा होता है
क्षण के सत्य से, पल में आकलन होता है
सटीक परिणाम प्रस्तुत होता है
हे देव तेरा विशाल स्वरूप, मेरी सिमित सम्भावनाओं से
नहीं संभल रहा है
विराट से बहते प्रकाश धोध में, पूर्णतः गुम हो रहा है
यह मुझे हरगिज नहीं डरा रहा किन्तु
तेरे चरण में झुका रहा है
में मेरी आराधना के शिखर पे, तुझे स्थान दे रही हूँ
में अब तुम्हारे साम्राज्य पे शक नहीं करती हूँ.
त्वमाधिदेव: पुरुष: पुराण-त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् |
वेत्तासि वेद्यं च परं च धामत्वया ततं विश्वमनन्तरूप ||
"आप आदिदेव तथा आदि दिव्य पुरुष हैं;
आप ही इस ब्रह्माण्ड के एकमात्र विश्राम-स्थल हैं।
आप ही ज्ञाता तथा ज्ञान के विषय दोनों हैं;
आप ही परमधाम हैं। हे अनंत रूपों के स्वामी,
आप ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त हैं।"

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