ओ सेकुलरिज्म के रखवाले
तूने दर्द भरे है लाले
दिल में दर्द भरे कितने लाले...
ओ सेकुलरिज्म के रखवाले
हरे रंग को तूने सिर पे बिठा दिया
केसरिया देखता ही रह गया
नीला, पीला, लाल अपनी हैसियत ही विसर गया
तूने सोची समजी रण नीति में हमें फसाया..
ओ सेकुलरिज्म के रखवाले
चुनाव कि वोटनीति के तहत
गलत को ओर बढ़ाया चढ़ाया गया
चंद होते हुए भी, तुम सब ने लोकशक्ति को मुर्ख बनाया…
ओ सेकुलरिज्म के रखवाले
तूने सिर्फ तेरी कुर्सी को ही बचाना चाहा
इसलिए इसे अपना हतथा बना डाला
ये शब्द ही फरेब कि परत से प्रगट हुआ है
उनकी नींव से नमक हरामी जांख रही है
तूने चालाकी से,इसे हमारे गले में डाल दिया
एक मनचाहा क़ानून बना डाला…
ओ सेकुलरिज्म के रखवाले
लघुमती कहते हुए कुछ धर्म के स्थान छोड़ दिये गये
सिर्फ बहुमती के धर्म स्थान पे कर लगाया
ऐसे अनेक झूठ आधार लिये, सिर्फ पाखंड फैलाया
हमें भ्रम में फंसाकार अपना काम निकाला...
ओ सेकुलरिज्म के रखवाले
तूने दर्द भरे हे लाले...